वाराणसी – डीएम साहेब कब मिलेगा न्याय इस नर्सिंग के छात्र – छात्राओं को

छात्राओं का आरोप – डॉ ऋतू गर्ग कहती है मीडिया को  मैं विज्ञापन दे कर खरीद लूंगी
साहेब हताशा होते जा रहे है न्याय के आस में पीड़ित 

निलोफर बानो. वाराणसी.

बड़े बुजुर्गो ने कहावत कही है कि समरथ को नाही दोष गुसाई. इस कहावत का अर्थ होता है कि जो धनबल बाहूबल में सक्षम हो उसका कोई दोष नहीं होता है और निर्दोष साबित होता है. स्वच्छता की ब्रांड अम्बेसडर और अक्सर चर्चाओ में रहने वाली कई पुरुस्कारों से  सम्मानित वाराणसी की डॉ ऋतू गर्ग और नर्सिंग के छात्र छात्राओं के प्रकरण में पूरी तरह से लागू होता दिखाई दे रहा है. एक बड़े घोटाले के आरोपों को झेल रही डॉ ऋतू गर्ग और उनके चिकित्सक पति पर अभी तक जिला प्रशासन के तरफ से कोई कार्यवाही नहीं होना जहा डॉ ऋतू गर्ग के पकड़ को साबित करता है वही दूसरी तरफ जिला प्रशासन की नियत पर भी सवालिया निशान लगा रहा है. कहा जाता है कि सरकार किसी की हो मगर डॉ ऋतू गर्ग की राजनैतिक पकड़ तगड़ी होती है. मौजूदा प्रकरण इस बात को साबित करने के लिए बहुत है कि डॉ ऋतू गर्ग कितनी ऊँची पकड़ रखती है कि स्वच्छता के ब्रांड अम्बेसडर होकर खुद गन्दगी का आरोप झेल रही है और उनके ऊपर आरोप लगाने वाले छात्र-छात्राये अपने लिए न्याय की गुहार लगा रहे है और उनके हलक सुख चुके है मगर शायद जिला प्रशासन के तरफ से मिलने वाला इन्साफ उनके कंठो को और सुखाने के इंतज़ार में है.

प्रकरण में एक हफ्ते से अवैध डिग्री की बात को ले कर उपरोक्त कालेज के छात्र-छात्राएं कालेज के मैनेजमेंट पर धोखा-धड़ी का आरोप लगा कर अपने रूपयों के वापसी की मांग कर रहे थे जिस पर मैनेजमेंट अपनी बात पर अड़ा था कि उनका कालेज और डिग्री वैध है और मैनेजमेंट का कहना था कि एडमीशन के समय सभी छात्रों को बता दिया गया था कि सरकारी नौकरियों के लिए डिग्री मान्य नहीं होगी । पर छात्र-छात्राओं का कहना है कि एडमीशन के समय जब हमने आईएनसी (इंडियन नर्सिंग आफ कांऊसिल) में रजिस्टर्ड होने की बात पूछी तो बतायी गया  कि रजिस्टर्ड है पर पहले वर्ष के परिक्षा के दौरान पता चला कि रजिस्ट्रेशन नहीं है तब डॉ. रितु गर्ग ने छात्र- छात्राओं से कहा कि चिंता न करे और परीक्षा दें रजिस्ट्रेशन हो जाएगा । पर दूसरे वर्ष के परिक्षा का समय आ जाने तक रजिस्ट्रेशन न होने पर छात्रों ने पुन: इस बाबत पता किया तो पता चला कि जिस युनिवर्सिटी ‘सिंहानिया युनीवर्सिटी’ की डिग्री दी जाएगी उसकी मान्यता नहीं है और न ही इसे चलाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन की इजाजत ली गई है । इस बात का पता चलने के बाद छात्र-छात्राएं अपने साथ हुए धोखा-धड़ी पर प्रबंधन से जवाब मागा तो प्रबंधन ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर छात्र-छात्राओं को हास्टल के कमरों और बाथरूम में बंद कर धमकाया। छात्राओं का आरोप है कि  मीडिया में जाने पर उन्हें कहा गया कि जिस मीडिया में तुम हमारी शिकायत ले कर जा रहे हो उसे मैं विज्ञापन दे कर खरीद लूंगी। 
डॉ.रितु गर्ग नें सपा शासन में अपने जुगाड़ से कई पुरस्कार भी प्राप्त करने में सफल हुई। सत्ता से करीबी रखने वाली डॉ. गर्ग और उनके पति डा. संजय गर्ग ने हर वो कोशिश की जो वो छात्र-छात्राओं की आवाज दबाने के लिए कर सकते थे । थाने ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की, डीएम से मिल कर पीड़ितो ने जब न्याय की गुहार लगाई को डीएम साहब ने एडीएम को जांच सौपा। इस बीच डाक्टर दम्पति ने अपने तथाकथित मीडिया मित्रों के साथ मिल कर प्रेस कांफ्रेस कर अपनी ईमानदारी का डंका पीटना चाहा पर प्रेस कांन्फ्रेस में पीड़ितों ने पहुंच कर खुद को भी कांन्फ्रेस में शामिल करने की मांग करने लगें पर डॉ.दम्पति ने उनकी मांग नही मानी। पीड़ितों ने प्रेस कान्फ्रेस स्थल पर ही धरना दे डॉ. रितु गर्ग को अपने बीच बुलाने की मांग करने लगी पर डॉ ऋतू गर्ग के मीडिया मित्रों ने उन्हें पिछले रास्ते से निकाल दिया।
यहां से हताश पीड़ितों ने लखनऊ जा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल कर अपने लिए न्याय की गुहार लगाई। मुख्यमंत्री ने वाराणसी जिला प्रशासन को तीन दिन में रिपोर्ट भेजने का आदेश कर पीड़ितों को न्याय की भरोसा दिलाया है। जब डॉ. रितु गर्ग से संपर्क किया जा रहा तो उन्होने फोन नहीं उठाया अब देखना है कि पीड़ितो के रूपये वापस होते है या नहीं और डाॅक्टर दंपति द्वारा करोंड़ों रूपये की हेराफेरी उजागर होती है या नहीं.
बहरहाल छात्र-छात्राओं का दल बधाई के  पात्र है जिन्होंने अपने हक के लिए अपनी आवाज बिना किसी से डरे बुलंद की। खास कर छात्राओं ने अपनी भूमिका अदा कर न्याय के लिए शंखनाद किया। अब डॉक्टरों की संस्था आईएमए ऐसे डॉक्टर के प्रति क्या कार्यवाही करता है यह भी देखने की बात होगी । बहरहाल आम चर्चाओ को आधार मान लिया जाय तो चर्चाओ का बाज़ार गर्म है चर्चाओ के अनुसार एक स्वछ्ता अभियान की ब्रांड अम्बेसडर घोषित कर एनजीओं के माध्यम से प्रचारित डॉ रितु गर्ग ने अपने रसूख का बेजा फायदा उठा रही है 

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1 thought on “वाराणसी – डीएम साहेब कब मिलेगा न्याय इस नर्सिंग के छात्र – छात्राओं को”

  1. रितु से मैं विज्ञापन के लिए संपर्क करता हूँ। उनका विज्ञापन इसी स्टोरी के साथ चलाओं।

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