तमाम तलाब उदासीनता के कारण मृतप्राय पड़ेगा

प्रशासन के लिये कमाऊ पुत बन सकते है पोखरे लेकिन संरक्षण के नाम ओर कुछ भी नही
बलिया जनपद के सभी तहसीलों मे जल संतक्षण के प्राकृतिक स्रोत तालाब,पोखरा व गड़ही के संरक्षण के प्रति प्रशासनिक उदासीनता व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से यह मृतप्राय स्थिती मे चलते चले जा रहे है। इस मे लोगो मे जागरूकता की कमी के कारण क्षेत्रों के पोखरों, तालाबों की हालत आचरण भी बिगड़ती जा रही है।

ग्रामीण इलाको के साथ ही नगरीय क्षेत्र मे करीब हजारो पोखरो के संरक्षण हेतु कोई ठोस कार्ययोजना न होने के कारण इनका अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुच गया है। विभागो के लिये तो क्षेत्र के लगभग सभी पोखरों राजस्व के मुख्य श्रोत के रुप मर कमाऊ पत बन गये है। यहा हर बार लाखो की मछली पालन का पट्टा होता है। किन्तु इनके संरक्षण के लिये बिभाग द्वारा एक भी रुपया खर्च नही किया जाता। बिभाग को अब केन्द्र की प्रस्तावित योजना निली क्रान्ति से पोखरा संरक्षण हेतु फण्ड की उम्मीद है। किन्तु इसके लिये वर्तमान मे कोई ठोस कार्ययोजना नही है।

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