जामताड़ा: साइबर ठगी का ‘देहाती’ अड्डा

अगली बार आपको ‘एटीएम हेडक्वार्टर से या ‘एसबीआइ की मेन ब्रांच’ से फोन कॉल आए और आपके डेबिट कार्ड के ब्यौरे मांगे जाएं, तो आप उससे पूछिएगा, ”क्या आप जामताड़ा से बोल रहे हैं?’‘ उधर से भले ही इसका जवाब न मिले, पर पूरी संभावना है कि वह जामताड़ा से ही बोल रहा होगा. पूर्वी झारखंड का यह दूरदराज का जिला कंप्यूटर जानने वाले जिलों की फेहरिस्त में निचले पायदान पर है. ज्यादातर गरीब किसानों से आबाद इस जिले में घरों को दिन में मुश्किल से पांच घंटे बिजली मिलती है. इसके बाद भी यहां के करीब 100 गांव फोन पर बरगलाकर क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी निकलवाने वाले फिशिंग उद्योग के केंद्र के तौर पर उभरे हैं.

इन गांवों के नजदीक लगे सेलफोन टावरों पर रोज हजारों कॉल दर्ज की जाती हैं. ये कॉल बेतरतीब और अनजान नंबरों पर की जाती हैं ताकि भोले-भाले लोगों को शिकार बनाया जा सके, जो इन फर्जी ‘बैंक अधिकारी’ को अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के ब्यौरे बता दें और अपने खाते में जमा गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठें. कुछ महीने पहले ‘एसबीआइ की मेन ब्रांच’ के नाम से कॉल करने वाला शख्स मैट्रिक पास बेरोजगार 24 वर्षीय सीताराम मंडल हो सकता था. वह अब जेल में है, फिर भी वह जामताड़ा के सुंदोरजोरी गांव का हीरो है.  वह दरअसल गांव के कुछ युवा कद्रदानों को सिखाने के लिए अपने हुनर की नुमाइश भर कर रहा था कि पुलिस ने धावा बोल दिया.
सीताराम के काम करने का तरीका सीधा-सादा था. वह एक फर्जी आइडी के जरिए हासिल सिम से बेतरतीब नंबरों पर एक के बाद एक कई कॉल करता था. उसके साथ उसका एक सहयोगी दूसरे फोन पर तैयार रहता था और फटाफट एटीएम-डेबिट कार्ड और ओटीपी के ब्यौरे दर्ज कर लेता था. रकम खाते से एक ई-वॉलेट में ट्रांसफर कर दी जाती थी और फिर फौरन ही निकाल ली जाती थी. महज एक फोन कॉल और कुछ मिनट की कवायद से इस नौजवान की जेब हजारों की रकम से मालामाल हो जाती थी.
बेरोजगार पिता का बेरोजगार बेटा सीताराम 2010 में झारखंड के कई दूसरे नौजवानों की तरह काम की तलाश में मुंबई गया था. उसने पहले सड़क किनारे के एक ढाबे में और फिर रेलवे स्टेशन पर दलाल के तौर पर काम किया. आखिर में उसने कुछ कॉल सेंटरों पर काम किया, जिसने उसकी जिंदगी बदल दी. वह 2012 में जामताड़ा लौट आया. स्थानीय पुलिस के मुताबिक, 5 साल बाद उसके खाते (अब जब्त) में 12 लाख रु., दो पक्के मकान, एक महिंद्रा स्कॉर्पियो एसयूवी है. उसकी दो बहनें अमीर दूल्हों को ब्याही गई हैं. पुलिस ने सीताराम और उसके साथी विकास मंडल के पास से सात स्मार्टफोन और 15 सिम बरामद किए. उनके मोबाइल फोनों के ईएमईआइ नंबर (15 अंकों की खास पहचान) उन नंबरों से मिल गए हैं जो कई राज्यों की पुलिस ने फिशिंग कॉल की शिकायतों के साथ सौंपे थे. इन कॉलों की जांच करते हुए पुलिस जामताड़ा के सेलफोन टावरों तक पहुंची.
मगर देश के सबसे गरीब सूबे में, जहां नौजवानों के लिए ज्यादा मौके नहीं हैं, सुंदोरजोरी के बाशिंदे सीताराम को लायक बेटा मानते हैं. धोखाधड़ी के दर्जन भर मामले यहां किसी को परेशान नहीं करते. ज्यादातर लोग यही कहते सुने जाते हैं, ”परिवार के लिए मेहनत करता है, क्या गलत है? जेल से बाहर तो निकल ही जाएगा.” मुकदमे जैसे-जैसे अदालत में आगे बढ़ रहे हैं, जामताड़ा जेल में बंद सीताराम भी इतना ही बेपरवाह नजर आता है. वह कंधे झटकते हुए कहता है, ”सब झूठ है.” पुलिस कहती है कि वह अब मशहूर हो चुका है, वह साइबर अपराध के अमिताभ बच्चन की तरह है. मगर वह जामताड़ा के उन सैकड़ों नौजवानों में से महज एक है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने फिशिंग को बतौर करियर अपना लिया है.
फिशिंग का कुटीर उद्योग
यहां कोई इस बात से वाकिफ नहीं कि जिले के नौजवानों ने फिशिंग कब शुरू की. कहा यह जाता है कि कुछ लोग दिल्ली गए थे और वहां ‘चेहरा पहचानो’ नाम के एक ऑनलाइन रैकेट में शामिल हो गए. इसमें लोगों से इनाम की एवज में बॉलीवुड के सितारों की हल्की-सी धुंधली कर दी गई तस्वीरों को पहचानने के लिए कहा जाता था. जब भोले-भाले शिकार लोग दिए गए नंबरों पर कॉल करते थे, तो उनसे प्रोसेसिंग फीस अदा करने के लिए कहा जाता ताकि उन्हें अपना जीता हुआ इनाम यानी एसयूवी मिल सके. धोखेबाजों के खातों में रकम जमा होने के बाद वे लोगों का फोन उठाना बंद कर देते थे. पुलिस का कहना है कि इस रैकेट में शामिल कुछ नौजवान जामताड़ा लौट आए और उन्होंने ही यहां सबसे पहले फिशिंग शुरू की. धीरे-धीरे इसमें और भी कई नौजवान शामिल होते गए.
जामताड़ा जिले में 1,161 गांव हैं और इनमें से करीब 100 गांवों को छोड़कर बाकी की ज्यादातर आबादी बारिश पर निर्भर खेती से गुजारा करती है. कर्मटण्ड पुलिस आखिरकार इन गांवों तक पहुंची, जहां अकेला उद्योग फिशिंग ही प्रतीत होता है.” इनमें से कुछ गांव इसी थाने की जद में और बाकी ज्यादातर गांव नारायणपुर थाने में पड़ते हैं. इन दोनों पुलिस थानों को 16 राज्यों की पुलिस के नोटिस मिले जिनमें एक या दूसरे धोखेबाज के बारे में पता लगाने की दरख्वास्त की गई थी. जामताड़ा के गांवों में बेलगाम निर्माण कार्यों इस ओर इशारा करते हैं जो कर्मटांड थाने में इन गांवों के लोग गैर-कानूनी तरीकों से आई रकमों से मालामाल हैं.
जामताड़ा में कालाझरिया और दुधनिया गांव साइबर अपराध की पहचान बन गए हैं. कालाझरिया में एक मोबाइल टावर लगा है जिस पर हर दिन 2,500 कॉल आती हैं. वहीं दुधनिया अपने नए शानदार पक्के मकानों से चमचमा रहा है. 
जामताड़ा पर पुलिस की भौहें तनीं, तो इसका वास्ता पप्पू मंडल से भी है. 22 साल के पप्पू ने हाइस्कूल में पढ़ाई छोड़ दी थी. कर्मटांड से करीब तीन किमी दूर कासीटांड में रहने वाले पप्पू के पास आज गांव में दो पक्के मकान हैं. मगर नवंबर, 2015 में उसने गलती यह कर दी कि भारतीय रिजर्व बैंक का नकली अफसर बनकर केरल के एक सांसद प्रेमचंद्रन को फोन लगा दिया. उसने प्रेमचंद्रन को 1.6 लाख रु. की चपत भी लगा दी. आखिरकार यह उसका लालच ही था जो उसे ले डूबा, क्योंकि पप्पू बार-बार सांसद को फोन करता रहा. प्रेमचंद्रन बताते हैं, ”एक बार वह मेरी आंखों में धूल झोंकने में क्या कामयाब हो गया कि बार-बार फोन करके वन टाइम पासवर्ड मांगता. मैंने उसके कॉल दिल्ली पुलिस को डाइवर्ट कर दिए, जिन्होंने मामले को सुलझा दिया. उसने जो रकम मुझसे ऐंठी, वह अभी मुझे मिलनी बाकी है.” पप्पू अब जेल की रोटियां तोड़ रहा है. उत्तर प्रदेश के धोखाधड़ी के लेन-देन से जुड़े 90 फीसदी कॉल जामताड़ा से किए गए थे. तेलंगाना के पुलिस प्रमुख अनुराग शर्मा ने 30 जनवरी को फेसबुक पर एक चेतावनी पोस्ट की और लोगों से जामताड़ा के धोखेबाजों से सावधान रहने को कहा, 
पिछले 3-4 साल से देश भर के पुलिसकर्मियों को जामताड़ा का रुख करना पड़ा है.”
पश्चिम बंगाल की पुलिस ने पिछले वर्ष 1 जुलाई को जामताड़ा की सोनाबाद पंचायत के उप-मुखिया 32 वर्षीय सद्दाम हुसैन को गिरफ्तार किया. उस पर कोलकाता के शंकर कुमार बोस से धोखे से एक लाख रु. से ज्यादा की रकम ऐंठने का आरोप है. हुसैन धड़ल्ले से बांग्ला बोलता है और उसने फोन पर बात करते हुए बोस को अपने एटीएम कार्ड के ब्यौरे बताने के लिए फुसला लिया.  गांव में इस शख्स की हैसियत बताती है कि जामताड़ा में साइबर अपराधियों की किस हद तक स्वीकार्यता है. जामताड़ा पुलिस ने पिछले छह महीने में फिशिंग से जुड़े अपराधों के लिए 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके बाद भी यहां से ऐसे कॉल किया जाना जारी है. लिहाजा अगली बार जब ‘एटीएम हेडक्वाट्र्स’ से आपके पास कॉल आए, तो याद रखें कि यह जामताड़ा से फिशिंग की एक और कोशिश हो सकती है.
साभार:- अमिताभ श्रीवास्तव

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