कानपुर – मूकदर्शक बनी है जीआरपी और RPF, यात्रियों को पानी के लिए तरसा रहे जल माफिया

(मो0 नदीम) दिग्विजय सिंह के साथ कैमरामैन निजामुद्दीन
कानपुर 23 अप्रैल 2017
 देश के रेल मंत्री सुरेश प्रभु यात्रा के दौरान यात्रियों को होने वाली असुविधा के निवारण हेतु हर सम्भव प्रयास में लगे हुए है जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई है जैसे कि यात्रियों को शुद्ध और गर्मी के मौसम में ठंडा पानी मिले उसके लिए हर प्लेटफार्म पर आरो मशीन लगाईं गई है जगह जगह फ्रीजर भी लगाए गए है ताकि यात्रियों को किसी भी तरह असुविधा का सामना ना पड़े लेकिन हो रहा उलटा उन्ही के मातहत सुविधा की जगह यात्रियों को असुविधा का टॉनिक पीने पर मजबूर कर रहे है

ठंडा तो दूर गर्म पानी भी नहीं नसीब है यात्रियों को
बताना चाहेंगे सेंट्रल रेलवे पर हज़ारो यात्रियों को भीषण गर्मी में पानी की विकट समस्या से जूझना पड़ रहा है नलो में पानी आ नही रहा है फ्रीज़र खराब पड़े है आरो मशीन से भी नाम मात्र लोगो को ही पानी मिल पा रहा है यात्री जान जोखिम में डालकर ट्रैक फांदकर प्लेटफार्मो पर पानी के लिए भटक रहे है यात्रियों को ठंडा पानी तो दूर की बात है गर्म पानी के ही दर्शन हो जाए तो बड़ी बात है लगभग ये समस्या सभी प्लेटफार्मो पर देखने को मिल रही है मजबूरन यात्रियों को 20 से 25 पच्चीस रुपये की बोतल खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है जिसे अवैध वेंडरों द्वारा जल माफिया धड़ल्ले से बिकवा है जबकि कम गुणवत्ता वाले आसना,पवन,एल्पाइन,हेल्थ प्लस,व्  2गुड़ मिनेरल वाटर रेलवे में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है लेकिन भला हो रेलवे विभाग के अफसरानो का जिनकी कृपा दृष्टि के चलते जल माफिया अपनी अवैध दुकाने खुलेआम अपनी दूकान चला रहे है और यात्रियों को सुविधा के नाम पर असुविधा का टॉनिक पीने पर मजबूर कर रहे है 
रेलवे बना जल माफियाओ का अड्डा
सूर्य देव ने जरा सी नज़रे क्या टेढ़ी की लोग जल देवता को लगे पुकारने जल देवता तो ना आये परन्तु जल माफिया की पूरी टीम आ गई जेब खाली करवाने वास्ते- रेलवे में पानी की होने वाली समस्या का मुख्य कारण कोई और नहीं ये जल माफिया ही है जिनकी साठ गाठ के चलते ही यात्रियों को नलो और फ्रीजरो से पानी नहीं मिल पा रहा है क्योकि रेल कर्मचारियों से मिलीभगत की व्जह से ही नल और फ्रीजर खराब पड़े है इस गोरख धंधे में एक नही कई जल माफिया शामिल है जिसमे कल्लू, शिवम्,राहुल,जाबिर,व् इरफ़ान रैनी जैसे कई दलाल पानी के अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे है मजे कि बात तो ये है कि सबका अपना अपना प्लेटफार्म व् ट्रेने तय है कोई किसी के एरिया में नही घुस सकता है ना ही कोई किसी के वेंडरों को अपने पास काम पर रख सकता है यानि बेईमानी का काम भी ईमानदारी से किया जा रहा है यहाँ पर सोचने वाली बात तो ये है देश के सभी रेलवे विभागों में रेल नीर मिनरल वाटर को ही बिक्री के लिए वैध किया गया है इसके बावजूद रेल से लेकर रेलवे में गुणवत्ताहीन मिनरल वाटर की बिक्री खुलेआम हो रही है जो सबको दिखाई दे रही है अगर नही किसी को दिखाई दे रही है तो वो है रेलवे प्रशासन जिसने शायद कसम खाली है की हम ऐसे ही मानकों को ताक पर रखने वालो का साथ देते रहेंगे जिसको जो करना है कर ले हम ना डरेंगे किसी से चाहे वो कितना भी बड़ा अफसरान होए
आखिर क्यों बिक रहां रेल नीर की जगह अवैध पानी
आखिर क्यों बिक रहा अवैध् पानी इस सवाल का जवाब हम आपको पहले अंक में दे चुके है लेकिन एक बार फिर से खुलासा कर देते है असल में रेल नीर की थोक रेट के हिसाब से लगभग कीमत 10.50 पैसे की कीमत   जिसे 15 रुपये फुटकर में बेच सकते हो यानि कुल 4,50 पैसे का मुनाफा उस पर पुलिस का खर्च वेंडरों का खर्च और भी खर्च अगर जोड़ ले तो लगभग निकलना नामुमकिन सा हो जाता है वही कम गुणवत्ता वाले मिनरल वाटर की कीमत 6,25 पैसे जिसे आसानी से 20 से लेकर 25 रु0 में आसानी से यात्रियों को बेच जाता है जिसमे 13,75 पैसे लेकर 18,75 की बचत होती है और एक वेंडर रोज़ाना लगभग 400 से 500 बोतल आसानी से बेच लेता है और हर माफिया के अंडर में दस से पंद्रह वेंडर काम करते है अब आप यही से जल माफियाओ की कमाई का अंदाजा लगा सकते है -खैर मामला कुछ भी हो रेलवे प्रशासन जो कि अवैध कारोबारियों द्वारा पहनाये गए चश्मे को नही उतार फेकता है और यात्रियों को होने वाली असुविधा को गम्भीरता से नही लेगा तो वो दिन दूर जब लोग रेल में यात्रा करने से भी कतरायेंगे वही रेलवे अधिकारियो ने अवैध वेंडरों पर लगाम ना लगाई गई तो कोई भी बड़ी आसानी से वेंडरों की आड़ में रेलवे परिसर में आतंकी घटना को अंजाम दे सकता है जिसका खामियाजा कौन भुगतेगा ये तो भगवान ही जाने

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