झोलाछाप चिकित्सकों को लेकर गंभीर नहीं चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार
लखीमपुर खीरी-शासन की सख्त हिदायतों के बाद भी चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार झोलाछाप चिकित्सकों को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं यही वजह है कि कस्बे और क्षेत्रीय गांवों में दर्जनों गैर पंजीकृत क्लीनिक धड़ल्ले से चल रहे हैं। यह लोग न सिर्फ मरीजों से मोटी रकम ऐंठने का काम करते हैं। साथ ही चिकित्सा संसाधनों के अभाव में ऑपरेशन और उपचार कर मरीजों की सेहत से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते हैं। उधर झोलाछापों के खिलाफ ग्रामीणों की शिकायतें भी उन पर कार्रवाई के बजाय जिम्मेदारों की इनकम का जरिया बन जाती हैं। कहने के लिए तो स्वास्थ्य महकमा के जिम्मेदार झोलाछापों के प्रति सख्त होने का ढिंढोरा पीट रहा है। लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है।
कस्बा समेत पिपरिया राजापुर जलनिगम चौराहा सीतापुर रोड चिमनी छाउछ बाबागंज महम्मदाबाद गढरूआ नीमगाँव इत्यादि दर्जनों जगहों पर अप्रशिक्षित चिकित्सा चल रही है। लग्जरी कुर्सियों पर आसीन झोलाछाप रोगियों से फीस तो वसूलते हैं साथ ही नकली दवाओं का इस्तेमाल भी खुलेआम करते हैं। इतना ही नहीं यह लोग चर्मरोग,भगंदर, बवासीर के साथ साथ कई अन्य घातक बीमारियों का ठेके पर उपचार करते हैं। कस्बे के अधिकतर झोलाछापों ने अपने संबंधितों और रिश्तेदारों को मेडिकल स्टोर खुलवा रखे हैं। इसके साथ ही यह लोग भ्रूण गर्भपात कराने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसा नहीं है कि विभागीय जिम्मेदारों को इनके कुकृत्यों की जानकारी नहीं है क्योंकि कई बार तो अल्पज्ञता के चलते मरीजों को अपनी जान से हाथ धोने पड़े हैं।
छापेमारी में होती है औपचारिकता
ऐसा नहीं है कि जिम्मेदार छापेमारी नहीं करते। छापेमारी भी होती है तो पूर्वनियोजित और औपचारिक। जिम्मेदारों के छापेमारी पर निकलते ही उनके फोन पर मैसेज आ जाता है और झोलाछाप नौ दो ग्यारह हो लेते हैं। उधर छापा मारने वाले भी रजिस्टर्ड क्लीनिकों पर जाकर औपचारिकता पूरी कर लेते हैं। यदि ऐसा नहीं है तो आज तक झोलाछाप डाक्टरों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है यह सवाल लोगों में बना हुआ है जबकि हर निरीक्षण में एक दो झोलाछाप पकड़े जाते हैं।