कही नोट बंदी के भेट तो नही चढ़ गया नसीमुद्दीन और मायावती का 35 साल पुराना साथ
अनुपम राज :
क्या है आखिर पूर्व बसपा नेता नसीमुद्दीन सिदीक्की के टेप कांड कि सच्चाई
उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव से पहले हुई नोट बंदी ने 35 वर्ष पुरानी माया-नसीमुद्दीन के रिश्तो में ऐसी दरार दाल दी कि वह दरार आज एक बड़े कांड व सियासी घमासान में तब्दील हो चुकि है मसला है लगभग 600 करोड़ से 700 करोड़ रुपये का जो कि बसपा के पास आया ही नही,
बसपा में मुस्लिमो का बड़ा चेहरा माने जाने वाले नसीमुद्दीन सिदीक्की कि बसपा सुप्रीमो मायावती के संबंधो में उस वक्त दरार आई जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 403 उम्मीदवारों के टिकट फाइनल कर दिए जा चुके थे और तभी नोट बंदी हुई और सभी उम्मीदवारों से कहा गया कि उन्होंने जो भी राशी टिकट खरीदने हेतु दी है वो पुराने नोटों में है लिहाजा सभी उम्मीदवार को बसपा सुप्रीमो ने पैसे वापस लौटा दिए और उन्होंने कहा कि जिसने जिस व्यक्ति को जिस भी विधानसभा का टिकट दिलवाया है उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह अपने उम्मीदवार से पुराने नोटों कि बजाए नये नोटों में फण्ड को दुबारा से मंगवाये
चुकि चुनाव नजदीक थे और सभी उमीदवार नोट बन्दी कि मार से बुरी तरह से त्रस्त थे इसी बीच विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुआ और बसपा कि करारी हार और ज्यादातर उम्मीदवारों कि जमानत जप्त ने उम्मीदवारों कि कमर तोड़ दी और ज्यादातर उम्मीदवारों ने पैसे नही लौटाए और कुछ ने तो लगभग बिना मूल्य चुकाए ही अपने विधानसभा में चुनाव लड़ा और हार के पश्चात् अपनी बुरी स्थिति का हवाला देते हुए पैसे देने से इनकार कर दिया.
वही दूसरी ओर बसपा सुप्रीमो मायावती के परिवारवाद का विरोध का नाटक भी नसीमुद्दीन सिदीक्की के बागी तेवर कि भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है, मामला बसपा सुप्रीमो के भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रिय उपाध्यक्ष बनाये जाने कि सुगबुगाहट का है, सूत्रों कि जानकारी के अनुसार बसपा सुप्रीमो मायावती चाहती है कि उनके भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रिय उपाध्यक्ष बना दिया जाए ताकि पार्टी के भविष्य को सवारने में बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार उनकी मदद कर सके परन्तु इसके साथ ही नसीमुद्दीन सिदीक्की को पार्टी में अपने घटते कद का अंदाजा लगा और बसपा के एक मात्र मुस्लिम व अल्पसंख्यक चेहरे ने बगावत कि बिगुल फूक डाली