पुलिस-पत्रकार गठजोड नें टूटता रिश्ता जोड़ा, कल शादी वाले दिन भागा दूल्हा आज हुआ हाजिर, शादी संपन्न
शबाब ख़ान
वाराणसी : मोहल्ला चौहट्टालाल खान में कल रात 8 बजे एक बेटी की बारात आना तय थी, लेकिन ठीक बारात वाले दिन दूल्हा सलीम भाग गया और लड़की वाले बारात का इंतजार करते ही रह गए। बारातियों के लिए बना खाना कूड़े में फेकना पड़ा, लड़की जो मेंहदी लगाकर बैठी थी वो मायूस हो गई। जानकारी मिलने पर जब कुछ पत्रकार लड़की के घर पहुँचे तो लगा ही नही कि यह शादी वाला घर है, मौत सा सन्नाटा पसरा था घर में। यह सब देखकर पत्रकारों नें लड़की पक्ष वालों की मदद करने की ठान ली।
पत्रकार लड़की वालो के कुछ रिश्तेदार को लेकर लड़के वालों के घर भी गए, मंशा बस एक थी कि फरार दूल्हे की लोकेशन मिल जाए। लेकिन वहॉ से कोई क्लु नही मिला। लेकिन जब यह जानकारी आयी कि दूल्हे सलीम के दो छोटे भाई अलीम और कलीम तथा दूल्हे का बहनोई मनोज अपनी पत्नी के साथ लड़की वालो के घर गए हैं ताकि स्पष्ट कर सकें कि दूल्हे सलीम के फरार हो जाने में उनका कोई हाथ नही है, तो लगा अब काम बन सकता है। ताकीद करा दिया गया कि उन तीनों को लड़की वालो के घर पर इज्जत के साथ बैठाये रखा जाए, और वहॉ पहरा लग गया।
इधर पत्रकार लड़की के मॉ-बाप, भाई को लेकर कोतवाली पहुँचे और इंस्पेक्टर को वास्तुस्थिति से अवगत कराया गया। कोतवाली इंस्पेक्टर ने लड़की पक्ष की ओर से तहरीर ले लिया और नाईट ड्युटी पर तैनात दरोगा राघवेंद्र सिंह को मय फोर्स जीप से लड़की वालो के घर भेजा और वहॉ से दूल्हे के भाईयों और बहनोई को रात 1:00 बजे हिरासत मे लेकर कोतवाली ले आया गया। जैसा कि पहले बताया कि मंशा सिर्फ फरार लड़के को बिल से बाहर निकालना भर था, इसलिए कोतवाली के कार्यालय में तीनों को बैठा दिया गया। कोतवाली इंस्पेक्टर नें तीनो से भागे हुये लड़के के बारे में पूछा लेकिन इन लोगो ने कुछ स्वीकार नही किया।
बहरहाल रात गुजरी, सुबह 10 बजे फिर से पत्रकार कोतवाली पहुँचे और रात में हिरासत में लिए गये तीनों लोगो को कोतवाली में बैठा पाया। पत्रकारों नें उन लोगो से फिर पूछा कि वो लड़के का पता बता दें, लेकिन अभी तक सुर नही बदला था। पत्रकारों ने उन तीनों से कानूनी भाषा में बात किया कि कैसे उन सबको जेल भेजा जा सकता है। यह चेतावनी थोड़ा काम कर गई, सू़चना मिली की दूल्हे के बाकी के दो भाई और बहनोई के दोस्त रिश्तेदार लड़के को ढूँढ रहे है। पत्रकार समझ गये कि बहनोई मनोज कमजोर कड़ी है सो उस पर कुछ ‘जान-निकालु’ टोटके और आजमाए गये। कुछ जादू-मंतर पुलिसकर्मियों नें भी उनके कान में फूँका।
और, कोई अाश्चचर्य की बात नही कि 18 मई को दिन के बारह बजे सूचना आ गई कि फरार दूल्हा मिल गया। इस सूचना के मिलने के दो-ढाई घण्टों बाद दूल्हे राजा मो० सलीम दो वकीलो के साथ कोतवाली में नुमाया हुआ। कहॉ गये थे, क्यो तय दिन को बारात लेकर नही आये… यह सब पूछना हमें बेमानी लगा। हमने पूछा कि ‘क्या आज शादी करने को तैयार हो?’ जवाब जब हॉ मे मिला तो राहत मिली। कोतवाली में लड़के-लड़की पक्ष में थोडी तकरार हुई, तो हमने वहॉ टॉग अड़ाना उचित नही समझा। कोतवाली में वकील साहब नें सुलाहनामा बनाया, उस पर दोनो पक्षो ने हस्ताक्षर कर दिया और हिरासत में लिये गये तीनों व्यक्तियों को छोड़ दिया गया।
तय हुआ कि 18 मई को शाम सात बजे लड़के पक्ष वाले बारात लेकर आएगे, लड़की पक्ष नें साफ कर दिया कि दुबारा दावत के लिए खाना नही बनवा पायेगें। ऐतराज करने के हालात लड़के पक्ष वालो के थे नही सो बारात आना तय हो गया।
बारात आने के तय समय पर पत्रकारगण लड़की पक्ष के तरफ से खड़े हो गये। बारात आयी, बारातियों का स्वागत किसी ने नही किया तो पत्रकारों नें कुर्सी, दरी-चॉदनी मंगवाकर बारातियों को बिठा़या। उनको नाश्ता करवा कर मोलवी साहब को बुलवाया और निकाह करवा दिया गया। और उसके एक घण्टे बाद लड़की को विदा कर दिया गया।
इस शादी की चर्चा बनारस शहर की फिज़ा में दो दिन तक घूमती रही, लेकिन अतत: पत्रकारों नें लड़के को ढूँढवाकर तय दिन के अगले दिन शादी करवा करवाकर ही दम लिया। कोतवाली इंस्पेक्टर का सहयोग सराहनीय था, दरोगा राघवेंद्र सिंह का योगदान भी काबिलेतारीफ रहा। रही पत्रकारों की बात तो हम अपने मुँह मियॉ मिठ्ठु बनने में यकीन नही रखते। अंत में नवविवाहित जोड़े की शानदार वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए यही कहेगें कि अंत भला तो सब भला।