खुलासा, पिता जी ने कहा था,मोदी जी वो मेरा बेटा है, इससे बचकर रहना : अखिलेश यादव
जावेद अंसारी की कलम कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा, इ सवाल का जवाब आखिरकार बहूबली 2 कि फिल्म में मिल गया,कुछ इसी तरह का सवाल उत्तर प्रदेश की सियासत में 19 मार्च योगी आदित्यनाथ सरकार से के शपथ ग्रहण समारोह के दिन से तैर रहा है दरअसल उस दिन मंच पर सियासी विरोधी मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी के कान में कुछ कहा था मंच पर कई हस्तियों के साथ_साथ अखिलेश यादव भी मौजूद थे, उसके बाद से ही सुबह की सियासत में यह चर्चा चल रही है, कि आखिर मुलायम ने PM से क्या कहा, राजनीति में अबूझ पहेली बने सवाल का खुद अखिलेश यादव ने अपने अंदाज में जवाब दिया, कहा पिताजी (मुलायम सिंह यादव) ने उस दिन प्रधानमंत्री के कान में कहा था यह मेरा बेटा है,
इससे बच कर रहना, क्या वाकई यह सच है, इस पर अखिलेश ने हंसते हुए कहा कि पहले ही कहा था कि यकीन नहीं करोगे, एक निजी न्यूज चैनल के कार्यक्रम में यादव ने यह बातें कहीं, इसके बाद अखिलेश यादव से एक बार फिर से पूछा गया कि क्या वाकई ऐसा कहा गया था उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि मैंने पहले ही कहा था कि यदि इस मसले पर कुछ कहूंगा तो आप लोग यकीन नहीं करेंगे इसको सुनकर वहां सभी उपस्थित लोग हंसने लगे|
यहाँ से शुरू हुई समाजवादी जंग
14 अगस्त, 2016 वह तारीख है, जब इस परिवार में ‘सियासी जंग’ शुरू होने का एलान हुआ, इस दिन सपा संस्थापक मुलायम सिंह के भाई व उनके संघर्ष के हमसफर शिवपाल यादव ने इटावा में कहा कि-अगर भू-माफिया, शराब माफिया पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे, वह जिन पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे, उनमें से अधिकतर प्रो.राम गोपाल यादव के न सिर्फ नजदीकी रिश्तेदार थे बल्कि कथित रूप से उन्हीं के संरक्षण में फल-फूल रहे थे, यह लड़ाई इस कदर बढ़ी कि प्रो.राम गोपाल यादव ने एक जनवरी, 2017 को सपा का विशेष अधिवेशन बुलाकर संस्थापक मुलायम सिंह यादव को उनके पद से हटा दिया और अखिलेश यादव को सपा अध्यक्ष नियुक्त करा दिया,विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के नेतृत्व में लड़ा गया, जिसका परिणाम पार्टी के लिए खासा निराशाजनक रहा, सपा को सिर्फ 47 सीटें ही मिल पाईं, इस हार के बाद शिवपाल यादव ने इटावा में कहा कि यह पार्टी की नहीं ‘घमंड’ की हार है, उन्होंने नाम किसी का नहीं लिया था, मगर स्पष्ट था कि हमला उस पर है, जिसके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा गया, फिर एक जनवरी के तीन माह में मुलायम को सब कुछ सौंपने का हवाला देकर अखिलेश से अध्यक्ष पद छोड़ने की मांग शुरू हुई तो रामगोपाल ने फिर मोर्चा संभालते हुए कहा कि ‘अध्यक्ष पद की मांग करने वाले सपा के सदस्य तक नहीं है,अखिलेश पद नहीं छोड़ सकते हैं, वह यहीं नहीं ठहरे अब शिवपाल साजिश करने का इल्जाम लगा दिया,अगले ही दिन पलटवार हुआ और इशारों में शिवपाल ने प्रो. राम गोपाल यादव को शकुनि की संज्ञा देते हुए गीता पढ़ने की सलाह दी और समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने का संकेत दिया, इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए शिवपाल यादव ने शुक्रवार को कहा कि वह सेक्युलर दलों के नेताओं, समाजवादी पार्टी में उपेक्षित, अपमानित लोगों को जोड़कर मोर्चा बनाएंगे,मुलायम सिंह उसके अध्यक्ष होंगे, उनका सम्मान बचाने के लिए यह फैसला लेना पड़ रहा है, तो वही दुसरी अोर अखिलेश यादव ने सपेरों की समस्याओं के बहाने कहा बीन से सांप निकाले जाते हैं, मगर हम राजनीतिक लोग हैं आस्तीनों के सांपों को पहचान लेते हैं, इस जुमले में यूं तो किसी का नाम नहीं है मगर जिस तरह से परिवार में रार और मुलायम सिंह का रुख शिवपाल के प्रति सकारात्मक है, उससे इस जुमले के सियासी निहितार्थ स्पष्ट हैं|
मोर्चे की घोषणा से पहले शिवपाल ने मुझसे बात नहीं की, मुलायम
मुलायम ने मिडिया से कहा, मैं शिवपाल से पिछले एक हफ्ते से नहीं मिला हूं, उसने मुझसे इस बारे में कोई बात नहीं की है, मैं उससे बात करूंगा, मुलायम ने आगे कहा, ‘शिवपाल ने बस एक बयान दिया है, मैं उससे बात करूंगा और उसको मना लूंगा, मुलायम ने पार्टी के टूटने की सभी बातों को खारिज किया, हालांकि शिवपाल ने यह साफ नहीं किया था कि वे समाजवादी पार्टो को छोड़ देंगे या फिर नया मोर्चा चुनावी राजनीति में प्रवेश करेगे, नए मोर्चे के गठन को चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच नए घमासान के रूप में देखा जा रहा है,लेकिन मुलायम ने पार्टी में बिखराव की किसी भी संभावना को सिरे से नकार दिया है, उन्होंने कहा कि परिवार और पार्टी में कोई भी बिखराव नहीं चाहता है, पार्टी को बांटकर और कमजोर करके उन्हें कुछ नहीं मिलेगा, *कुल मिलाकर* उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था, दोनों को कुल 54 सीट मिलीं, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अकेले 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी|
“(जावेद अंसारी)”
“PNN24 NEWS”