सुपरकॉप व इतिहासकार का ‘कोलाज’ हैं आईपीएस विकास वैभव

गोपाल कुमार
रजनीकांत/प्रियेश प्रियम। ‘आता माझी सटकली’।कुछ याद आया फ़िल्म ‘सिंघम’ का ये डायलाग जिसे सुनने के बाद हर कोई कहता था कि पुलिस वाला हो तो ऐसा।रील लाइफ व रियल लाइफ में ऐसा कम ही देखने को मिलता है लेकिन बिहार में कुछ ऐसे आईपीएस से मिला जिसके बाद मैं उनका मुरीद होता चला गया।हाल ही में बांका का एक प्रकरण पढ़ रहा था कि कैसे एक आईपीएस की करवाई से दबंग वजूद (पूर्व विधायक) चुप है और डर से भागा भागा फिर रहा है।चलिए,बिना भूमिका बांधे आज उस आईपीएस अधिकारी के बारे में आपसे कुछ साझा करता हूँ

लेकिन उससे पहले उनके बारे में अप्रतिम इतिहासकार, सर्वोत्तम इंसान, अद्भुत पुलिस अधिकारी लिखना भूल गया था।मैं बात कर रहा हूँ आईपीएस विकास वैभव की। एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही जेहन में एक ऐसे कठोर ईमानदार कर्तव्यपरायण सरल पुलिस अधिकारी की छवि कौंध जाती है जिनकी वजह से जनसामान्य चहक उठता है , अपराधी कांप उठता हैं , पुलिस महकमा चौकन्ना हो जाता है।माता, पिता , गुरुजनों तथा समाज के लिए हृदय में अगाध प्रेम रखने वाले आईपीएस विकास वैभव  की कोशिश ही होती है अपराध के मूल को नष्ट करना तथा दूसरी ओर मूल से इतिहास का तथ्यात्मक शोध करना।हर गली मोहल्लों से अपराध के कारक को विनष्ट करना तथा खाकों से खोजकर ऐतिहासिक विरासतों की पुनःप्रतिष्ठापना ही इस आईपीएस अधिकारी की यूएसपी है।एक ऐसा अधिकारी जो अपने कर्म के आगे सब कुछ भूल जाता है।अपराध और अपराधियों का उन्मूलन जिसका जूनून हो।सामाजिक समरसता एवं अपराधमुक्त समरस समाज जिसका स्वप्न हो।इतिहास से जन को जोड़ना जिनका कर्म हो ,पुलिस अधिकारी के रूप में इन्होंने एक मिसाल कायम की।नक्सलियों का उन्मूलन हो या दस्युओं का सफाया, अपने क्षेत्र में इन्होंने राम राज्य का एहसास कराया।सामाजिक न्याय को सुनिश्चित किया।अपने कर्म के आगे इन्होंने किसी को न आने दिया।आपने आमजनों के सुख दुःख को उनके दर्द को अपना मानकर ही हर काम किया इसी का परिणाम है कि जनता के बीच इनकी छवि नायक की है।NIA के अपने कार्यकाल में राष्ट्र स्तर पर इन्होंने अपने नाम का डंका बजाया।

राष्ट्रद्रोहियों के मर्म पर कठोर प्रहार कर इन्होंने उनके संगठन को छिन्न भिन्न कर डाला।भटकल जैसे दुर्दांत को व उनके पूरे ताने बाने को ध्वस्त कर दिया।
पुलिस अधिकारी के रूप में भी इनके कार्य करने का मूलमंत्र ऐतिहासिक शोधों जैसा ही है, वैज्ञानिक अनुसन्धान, त्वरित निर्णय, सटीक लक्ष्य , कार्य के लिए पूर्ण समर्पण , रिस्क लेकर दूरगामी नजर व सोच जो भविष्य को प्रभावित करे।इनके ऐसे ही कर्मों के कारण आज इनकी गिनती सर्वश्रेष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में की जाती है। भागलपुर के डी आई जी के रूप में अपराधियों एवं सफेदपोशों को कानून के राज का एहसास करा रहे विकास वैभव की नजर में सब एक हैं।कर्म के आगे किसी भी दवाब के प्रति जीरो टॉलरेन्स व सार्थक परिणाम ही इनकी ताकत है।जनसामान्य के लिए सदैव उपलब्धता तथा उनकी सुरक्षा इनका ध्येय है।ऐसे न जाने कितने असाध्य कार्यों को इन्होंने साध्य बनाया।कर्तव्यनिष्ठा के आगे किसी भी अवरोध की इन्होंने परवाह नहीं की। 
IIT से उतीर्ण होने के पश्चात् IPS बनना।
विज्ञान विषय से IIT कानपुर से इंजीनियरिंग स्नातक किसी के लिए भी इतिहास का प्यार करना एवं उनका गहन शोधन दुर्लभतम घटना है।इन्होंने न सिर्फ इतिहास को अपनाया वरन पुराने सारे मानकों को ध्वस्त करते हुए खुद ही एक निराली राह निकाली जिसने इतिहास को देखने ,सुनने ,जानने की पुरानी सारी परम्पराओं को बदलते हुए एक नया सिद्धान्त ही प्रस्तुत किया जिसका मूल ही है इतिहास एवं ऐतिहासिक धरोहरों को सीधे सरल तरीके से जनसामान्य से जोड़ते हुए उनके महत्व को तारांकित करते हुए उनके संरक्षण हेतु सीधे जनमानस को उत्तरदायित्व देना।इनके इस पुनीत कार्य ने इतिहास को इनका ऋणी बना दिया।तत्पश्चात सारे शौक , आराम को छोड़ कर इतिहास के अनछुए पहलुओं को खोजना , संवारना ,बचाना एवं ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा हेतु अपने सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन करते हुए जनजागरूकता पैदा करने में दीवानगी की हद तक पहुँच जाने वाले उस महान शख्शियत को ही लोग अब इतिहासकार विकास वैभव के नाम से भी जानते हैं।खाक छानते हुए विरासतों के संरक्षण हेतु किया जा रहा इनका कार्य अप्रतिम है।
इतिहास की परतों को उघेरते हुए इन्होने अपने नाम के झंडे झंडे गाड़ दिए।
इतिहास शोध के इनके तरीकों ने न सिर्फ परंपरागत बोझिल मानकों को बदल डाला अपितु इनके रोमांचक वैज्ञानिक लेखों एवं उनके विश्लेषण  से जनमानस को सोते से जगा डाला।अपनी सभ्यता , संस्कृति , विरासतों , धरोहरों हेतु खुद को समर्पित कर चुके महान कर्मयोगी श्री विकास वैभव जी ने सामाजिक ऋण से खुद को उऋण कर लिया।इतिहास में झाँकने की इनकी अन्तर्ज्योति, गहन व सूक्ष्म अन्वेषण , तार्किक व्याख्या , ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ उनके रिश्तों की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पड़ताल , तथ्यों की खोज एवं उपेक्षित धरोहरों को उनका सम्मान लौटाने हेतु किया जा रहा इनका अथक प्रयास मील का पत्थर बन चूका है।इतिहास पर इनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं असाधारण लेखनी ने एक पूरी पीढ़ी को अपना दीवाना बना डाला।हजारों हजार लोग इनको पढ़ते हैं।बहुतों की सोच एवं नजरिया बदल दिया इन्होंने।
ऐतिहासिक विरासतों की खोज हेतु अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त नजर से दुर्गम स्थलों पर अनछुए उपेक्षित इतिहास की खोज में खाक छानते हुए इस महान इतिहासकार को देखना शरीर में सिहरन पैदा कर देता है।इनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण , समर्पण , समझ , कर्मठता , जूनून , सादगी , तर्क क्षमता , अनुसंधान – एक विस्मयकारी अनुभव है। इनकी खोजों को सहेजने का एक प्रयास  के माध्यम से किया गया है। अगर इस साइलेंट पेजेज को पढ़ा जाए तो खुद में यह एक सम्पूर्ण ऐतिहासिक धरोहर माना जाएगा। बहुत गहराई से वैज्ञानिक शोधों के माध्यम से ये दस्तावेज तैयार हुआ है जो अद्भुत है।युगद्रष्टा निर्लोभी विकास जी जैसे मनीषियों की बदौलत ही समाज को राह दिखा कर राष्ट्र पथ को सदैव आलोकित रखा जा सकता है।विकास वैभव एक महान पुलिस अधिकारी होने के साथ -साथ एक ऐसे अतुलनीय इतिहासकार भी है जिनकी खोजों ने उनको अद्वितीय बना दिया है।इनकी सरलता , सहज उपलब्धता , सबके हित हेतु चिंतन , इतिहास पर इनके नजरिए , समर्पण , विचार , लेखनी ने इनको भीड़ से अलग उस मुकाम पर खड़ा किया है जहाँ सच्चे मायनों में इनको युगप्रवर्तक कह सकते हैं।

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