दामाद हमार डिप्टी सीएम..फिर भी हमरे घरा में अंधेरा,

दिया तले अंधेरा
जी हाँ ऐसा ही कुछ नज़ारा है सूबे के डिप्टी सी .एम.केशव प्रसाद मौर्य के ससुराल का

नरेंद यादव
जी हां चौकिये नही… 

प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के ससुराल में आज भी अंधेरा है। अब आप यह जानने के लिए उत्साहित हो रहे होंगे कि आखिर डिप्टी सीएम केशव मौर्य की ससुराल कहाँ है, और क्यों अंधेरा है…तो हम आपको ले चल रहे है केशव की ससुराल…. 

केशव मौर्य के गृह जनपद कौशांबी में खूझा गांव की ये बदहाल तस्वीरे उनकी विकास कार्यो की काबिलियत बयां कर रही है। जहाँ आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी अंधेरा ही अंधेरा है। सरकार ने भले की पंडित दीनदयाल ग्रामीण ज्योति योजना के तहत गांव गांव बिजली पहुंचाने का सख्त फरमान विधुत विभाग को सुनाया हो, लेकिन केशव मौर्य के ससुरालियों की बदनसीबी तो देखिए विधुत विभाग की तरफ से विधुतीकरण की जारी सूची में भी खूझा गांव का नाम नही शामिल है। 
सिराथू तहसील से करीब 25 किलो मीटर की दूरी पर खूझा गांव है। 300 सौ से अधिक आवादी वाले इस गांव में आजादी के बाद से अब तक लोगो को बिजली नही नसीब हुई। खूझा गांव लोगो को बड़ी उम्मीदें थी कि इस गांव का दामाद केशव मौर्य प्रदेश का डिप्टी सीएम है, अब उनके गांव में बिजली के साथ-साथ विकास की वो तमाम राह भी खुल जायेगी, लेकिन ससुरालियों की यह उम्मीदें महज एक सपना ही साबित हो रही है।
 आधुनिक युग मे बदहाली का दंश झेल रहा खूझा गांव के लोग शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही पीछे है। गांव के बच्चे ढ़िबरी के सहारे पढ़ाई लिखाई तो जरूर करते है, पर उनके भविष्य पर बिजली की कमी अंधेरा की कुंडली मार कर बैठी है। विकास की राह में कोसो दूर खूझा गांव के लोगो के लिए बिजली की कमी कितना सताती है, ये तो सिर्फ ग्रामीणों के बातो से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इस भीषण गर्मी में लोगो का बुरा हाल है। दहेज में मिला टीवी फ़्रिज कूलर आदि आधुनिक समान कूड़े के समान एक कोने में पड़े है।
गांव के लोग बताते है कि खूझा गांव में बहन बेटियो की शादी भी बमुश्किल में होती है। गांव में जिन लोगो की आर्थिक स्तिथी ठीक है वो तो गेस्ट हाउस से शादी विवाह करते है। और जो गरीब तबके के लोग है उनके बहन बेटियों की डोली आज भी पेट्रो मैक्स यानी कि गैस की रोशनी में उठती है। ऐसे में गरीब लोग गेस्ट हाउस और जनरेटर आदि का भारी भड़कम खर्च वहन करने के लिए अक्षम है
खूजा गांव के लोगो में तब भी यही उम्मीदें जागी थी जब केशव ने 2012 में सिराथू से विधायक बने थे, 2014 में वो फूलपुर संसदीय सीट से टिकट पाये और सांसद बन गए। दो सालों के बीच मे केशव विधायक रहते हुए भी अपने ससुरालियों को बिजली नही दिला सके। जब केशव प्रदेश के डिप्टी सीएम बन गए तो उनके ससुरालियों में फिर से दूसरी बार उम्मीदों की आस जाग पड़ी थी, लेकिन तीन महीने बीतने को है आज भी बिजली नही नसीब हुई।
देश और प्रदेश में कई सियासी उठा पटक के बाद भी खूझा गांव की ये बदहाल तस्वीरें समय की करवट को कोस रही है। गांव के लोगो को इस बात का आज भी मलाल है कि प्रशानिक अफसरों ने भी इस गांव की तरफ नजरे उठाकर नही देखा, इतना ही नही उनकी नुमाइंदी करने वाले राज नेताओं ने भी इस ओर अपनी दिलचस्पी नही दिखाई। समय के आधुनिकता के साथ बदली ये बदरंग तस्वीरे अब योगी सरकार से रौशन किये जाने की टक टकी लगाए है।

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