आज पुरा होगा रमजान शरीफ का दूसरा रोजा
शाहिद शेख फतेहपुर से
कुछ मस्जिदों में पांच दिनों की तरावीह सुनायी जाती है तो कुछ मस्जिदों में सात दिनों की तो कुछ मस्जिदों में दस दिनों की तो कुछ मस्जिदों में पंद्रह दिनों की तो कुछ मस्जिदों में पूरे एक महीने में तरावी मुकम्मल की जाती है। बरहाल ये माहे मुक़द्दस रमजान शरीफ़ का महीना मागफिरत का महीना है, बरकतों वाला महीना है, सब्र और इबादत का महीना है, तिलावत करने वाला महीना है, रोजी रिज़्क में बरकत अता करने वाला महीना है। इस मुक़द्दस पाक महीने में छोटे – छोटे बच्चों से लेकर बूढ़े बुजुर्ग सभी लोग रोज़ा रखकर अपने अल्लाहपाक की इबादत करने में मशगूल हो जाते है। वहीं आम दिनों की अपेक्षा इस माह मुक़द्दस रमजान शरीफ़ के महीने में मस्जिदों में पांचो वक्त की नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में नमाजियों की अच्छी खासी भीड़ दिखाई पड़ती है। सब्र व इबादत का महीना रमजानुल मुबारक को सभी महीनों का खलीफा कहा जाता है। यह पाक मुक़द्दस रमज़ान शरीफ़ का महीना इस्लाम धर्म को मानने वालो के लिए खास महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही सभी लोग गुनाहों से बचने का प्रयास करते है और अपने पिछले गुनाहो की मागफिरत के लिए अल्लाहपाक के बारगाहे रुबूअत में दुआ करते है। बताया जाता है कि अल्लाहपाक ने अपने बन्दों के लिए रमजान शरीफ़ का महीना एक खास तोहफे के रूप में दिया है। यह महीना सारे महीनो से अफज़ल है। यह महीना खुशियों का पैग़ाम व आपसी भाई चारे का पैगाम लेकर आता है। इस्लाम धर्म को मानने वाले पूरे माह में बड़ी शिद्दत के साथ इबादत करने में मशग़ूल हो जाते है। रमजान शरीफ एक मिशाल है नेक नीयत का, सब्र का, इबादत का। बताते है कि रमजान शरीफ़ वह महीना है जिसमें अल्लाहपाक ने अपने बन्दों के लिए कुरआन पाक को नाजिल किया और हर कोई इस पूरे माह में रोज़ा रखकर और तिलावत कर अपने व अपने मरहूमो के गुनाहों की मागफिरत करता है साथ ही ये भी बताया जाता है कि इस महीने में जो भी सच्चे दिल से दुआ की तो अल्लाहपाक इस मुबारक रमजान शरीफ के सदके से अपने बन्दों की दुआ को कबूल करता है