कही भीम आर्मी को बसपा का समर्थन तो नही है ?
(जावेद अंसारी)
सहारनपुर में हिंसा भड़काने का आरोप जिस संगठन भीम आर्मी पर लग रहा है उसको लेकर यूपी की इंटेलिजेंस पुलिस ने सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी लगातार भीम आर्मी की मदद करती रही है. सहारनपुर पिछले तीन दिन से सुलग रहा है.
लगातार भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के संपर्क में रहे हैं आनंद कुमार
रिपोर्ट में सामने आया है कि मायावती के भाई आनंद कुमार भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के लगातार संपर्क में रहे हैं. बड़ी बात ये है कि सहारनपुर में हुए बवाल के बाद भी मायावती के भाई आनंद कुमार चंद्रशेखर के संपर्क में थे और किसी तीसरे आदमी के जरिए दोनों में बात होती रही. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीएसपी नहीं चाहती थी कि भीम आर्मी उसके लिए चुनौती बने. हालांकि बीएसपी भीम आर्मी को अकेला भी नहीं छोड़ना चाहती थी.
दरअसल सहारनपुर पिछले तीन दिन से फिर सुलग रहा है. परसों मायावती की रैली से लौटते वक्त एक दलित युवक की हत्या के बाद तनाव इतना बढ़ा कि कल दो जगह फिर गोली चली और इसका आरोप राजपूतों पर लगा. कल फिर दलितों औऱ राजपूतों में गोलीबारी की दो घटनाएं हुई. योगी सरकार ने हालात को संभालने के लिए पूरे महकमे को सहारनपुर में उतार दिया है. गृह सचिव एमपी मिश्रा और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आदित्य मिश्रा सहारनपुर में कैंप कर रहे हैं. प्रशासन दावा है कि अब धीरे-धीरे अब हालात सामान्य हो रहे हैं.
कौन है चंद्रशेखर आजाद
चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण सहारनपुर की हिंसा के आरोप में पुलिस की फाइलों में नामजद आरोपी है. सरकारी कागजों में इसे 9 मई से फरार बताया जा रहा है, लेकिन ये न सिर्फ मीडिया से बात कर रहा है बल्कि रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर हुए दलितों के प्रदर्शन में भी ये शामिल था. खुद यूपी पुलिस मानती है कि सहारनपुर में 9 मई को पुलिस और दलितों के बीच हुए बवाल में भीम आर्मी ने चंद्रशेखर की अगुवाई में जमकर हिंसा की थी. चंद्रशेखर और उसके समर्थकों ने रामनगर में एक पुलिस चौकी, कई मोटर साईकल और कारें जला दी थीं. पुलिस पर पथराव और हमला किया था.
क्या हुआ था सहारनपुर में ?
आपको बता दें कि सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में पांच मई को उस वक्त झड़पें शुरू हो गई थीं जब गांव के कुछ दलित निवासियों ने ठाकुरों(अगड़ी जाति के लोगों) की ओर से राजपूत राजा महाराणा प्रताप की जयंती पर एक जुलूस निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.
इसके बाद दलित समुदाय के लोगों ने शहर के गांधी उद्यान में नौ मई को एक महापंचायत करने की कोशिश की, ताकि पांच मई की झड़पों में प्रभावित हुए लोगों के लिए मुआवजे और राहत की मांग की जा सके, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें महापंचायत आयोजित करने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण दलित समुदाय सड़कों पर उतर गया. फिर हुई हिंसा में दलित प्रदर्शनकारियों ने शहर में कथित तौर पर एक पुलिस चौकी और एक दर्जन से ज्यादा बाइकों को आग के हवाले कर दिया.
सहारनपुर में दलितों की अगुवाई भीम आर्मी नाम का संगठन कर रहा था. रविवार को हजारों दलित अधिकार कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था. भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर भी इस मौके पर मौजूद थे. उन पर सोशल मीडिया में एक आपत्तिजनक वीडियो साझा करने और सहारनपुर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप है.