रूस दाइस को खत्म करने का दृढ़ संकल्प रखता हैः सरगेई लावरोफ
करिश्मा अग्रवाल
रूस, कज़्ज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और आर्मीनिया के सैनिक सामूहिक रूप से इस संबंध में एक दूसरे से सहकारिता के लिए तैयार हैं। आर्मीनिया, ताजिकिस्तान और क़ज़्ज़ाकिस्तान में रूस की जो सैनिक छावनियां हैं उनका प्रयोग वह आतंकवादी गुट दाइश से मुकाबले के लिए कर रहा है।रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोफ ने एक साक्षात्कार में कहा कि आतंकवादी गुट दाइश के तत्वों के आत्म समर्पण न करने की स्थिति में रूस इस गुट को पूरी तरह से खत्म कर देने का दृढ़ संकल्प रखता है। उन्होंने कहा कि रूस, कज़्ज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और आर्मीनिया के सैनिक सामूहिक रूप से इस संबंध में एक दूसरे से सहकारिता के लिए तैयार हैं।
इससे पहले यह कहा जा रहा था कि काकेशिया और केन्द्रीय एशिया में रूस की जो सैनिक छावनियां थीं उनका मुख्य लक्ष्य अमेरिका के साथ सैनिक संतुलन था पर इस समय प्रतीत यह हो रहा है कि क्षेत्र में रूस की जो सैनिक छावनियां हैं उनका प्रयोग बदल गया है और उनका प्रयोग अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में मौजूद आतंकवादियों से मुकाबले के लिए किया जायेगा।
यह ऐसी स्थिति है कि अगर रूस के विदेशमंत्री का बयान व्यवहारिक रूप धारण करता है तो आतंकवाद से मुकाबले में आर्मीनिया, ताजिकिस्तान और कज़्ज़ाकिस्तान जैसे देशों की भूमिका में वृद्धि हो जायेगी और यह चीज़ क्षेत्रीय देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पहले और पिछले तीन सालों में आतंकवाद से मुकाबले के लिए केन्द्रीय एशिया में कई बैठकें हो चुकी हैं।
हालिया कुछ वर्षों के दौरान रूस को केन्द्रीय एशिया के कुछ देशों और अफगानिस्तान की सीमा पर आतंकवाद से मुकाबले में काफी कीमत चुकानी पड़ानी है। प्रतीत यह हो रहा है कि सीरिया और इराक में सक्रिय आतंकवादियों को केन्द्रीय एशिया के देशों में बसाने के लिए कुछ शक्तियां क्षेत्रीय देशों के नेताओं से आशा लगाये बैठी हैं।
उदाहरण सऊदी अरब के अधिकारियों ने रूस और क्षेत्र के दूसरे देशों के अधिकारियों से बारमबार विमर्श- विमर्श किया है और वे इन देशों को काफी धन देने के लिए तैयार हैं ताकि दिग्भ्रमित वहाबी मत के तत्वों को इन क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया जाये। स्पष्ट है कि अगर केन्द्रीय एशिया के देश, सऊदी अरब और फार्स खाड़ी की दूसरी अरब सरकारों के आह्वान को स्वीकार करते हैं तो इन क्षेत्रों में आतंकवाद और असुरक्षा के विस्तृत होने का कारण बनेगा। प्रतीत यह हो रहा है कि आतंकवाद से मुकाबले का दावा करने वाले तुर्की जैसे कुछ देश भी इस संबंध में काफी सीमा तक सऊदी अधिकारियों के विचारों से सहमत हो गये हैं। बहरहाल कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि केन्द्रीय एशिया में मौजूद रूस की सैनिक छावनियों के प्रयोग के परिवर्तित होने से आतंकवाद से मुकाबले की लड़ाई में लड़ाई में तीव्रता आ जायेगी।