शबनम शेख की कलम से – माहे- रमजान आते ही खिल उठे चेहरे
शबनम शेख ( उन्नाव )
उन्नाव : हर जगह माह रमजान का चाँद देखा गया। रमजान का चाँद देखकर मुस्लिम समुदाय के लोगो के चहरो पर जहाँ एक तरफ खुशी की चमक दिखाई दी वही दूसरी और बहुत से हिन्दु समुदाय के लोगो ने मुबारक बाद देते हुए हिंदु मुस्लिम एकता की झलक दिखाई।
माह रमजान मुस्लिम समुदाय के लोगो का सबसे पाक महीना माना जाता है। यह इस्लामी कलेंडर का नवां महीना होता है जो 29 या 30 दिन का होता है इस माह में मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से पहले कुछ खाकर यानि सहरी करके रोजे की शुरुआत करते है और फिर पूरे दिन कुछ नही खाते और सूर्यास्त होने के बाद खजूर से रोजा खोलकर कुछ खाते है जिसे इफ्तारी कहते है। इस्लाम में रोजा को अहम फराइजो में से एक माना जाता है और ये लोगो को सब्र करना सिखाता है।
रोजा रखने के बारे में कहा जाता है कि ये हमे सिखाता है कि हमे अपने जिस्म के किसी भी अंग से कोई भी गलत काम नही करना चाहिए और अगर कोई इंसान ऐसा करता है तो उसका रोजा फांका माना जाता है और उसका रोजा बेकार हो जाता है किंतु अगर कोई रमजान माह में नेक काम करता है तो अल्लाह उसे 70 नेकियों के बराबर का सवाब अता करते है इसके अलावा इस महीने में कुरआन शरीफ की खूब तिलावत की जाती है क्योंकि इसी माह के आखिर में कुरआन शरीफ नाजिल हुई थी। लोग इबादत के साथ साथ खूब नेकियां भी करते है। अल्लाह अपने बन्दों के लिए खूब रहमत अदा करता है। गलियों में मस्जिदों में रमजान भर खूब चहल पहल देखने को मिलती है सभी लोगो के चहरे पर माह रमजान की ख़ुशी दिखाई देती है। मैं अपने सभी भाई और बहनों को दिल से रमजान की मुबारकबाद देती हूं और दुआं करती हूं कि अल्लाह आप सभी को माह रमजान की नेकियों की फजिलते अता करे।
अमीन
चाँद से रोशन हो रमजान तुम्हारा;
इबादत से भरा हो रोज़ा तुम्हारा;
हर रोज़ा और नमाज़,
कबूल हो तुम्हारी;
यही अल्लाह से है,
दुआ हमारी!..