मऊ – कप्तान साहेब आपके अधिनस्त 16 दिन से रेप पीड़ित किशोरी का 164 का बयान नहीं करवा पाये है

क्या होगा एक किशोरी के पेट में पल रहे इस गर्भ का
कब दिलवा पायेगी घोसी पुलिस मिलेगा इन्साफ  
प्रीती सिंह.
मऊ – कहते है गरीबो को न्याय पाने के लिए बहुत ठोकरे खानी पड़ती है. प्रदेश सरकार का हमेशा प्रयास रहता है कि गरीबो को न्याय समय से मिल जाए मगर क्या किया जाय साहेब, न्याय दिलवाने वालो के जिम्मे और भी बहुत काम होते है जिसको पूरा करना होता है. न्याय दिलवाने में थोडा देर किया जा सकता है. वह भी अगर कही उत्पीडन शहरी इलाके में न होकर ग्रामीण इलाके में हुआ तो फिर क्या कहना साहेब. फिर तो आराम से न्याय मिलता रहेगा. सम्मानित अदालते तो तब न्याय देंगी जब केस उनके सामने आएगा. अब केस को अदालत तक ले जाने के लिए आप पुलिस के चक्कर काटते रहे. सम्मानित सर्वोच्च न्यायालय ने कई कड़े निर्देश दिए है महिला उत्पीडन और यौन शोषण के सम्बन्ध में, मगर प्रदेश की पुलिस अपने ही धुन में काम करती है.

मौजूदा घटनाक्रम मऊ जनपद के घोसी थाने से सम्बंधित है आरोपों के अनुसार उक्त थाना क्षेत्र के ग्राम भिखारीपुर निवासिनी मुन्नी (परिवर्तित नाम) आयु (15 वर्ष)  उसी ग्राम में अपने नाना ज़हूर के यहाँ रहने वाला ज़फर पुत्र इकबाल मूल निवासी हसनपुर, अलीनगर थाना सरायलखसी जनपद मऊ द्वारा शादी का झांसा देकर शारीरिक सम्बन्ध बनाया गया, इसकी जानकारी परिजनों को तब हुई जब मुन्नी (परिवर्तित नाम) को गर्भ ठहर गया. परिजनों को जानकारी होने पर परिजन जब ज़हूर के पास जाकर इसकी शिकायत किये तो ज़हूर और उक्त युवक ज़फर ने उन लोगो से शादी से इनकार करते हुवे भगा दिया. पीड़ित पिता अपनी नाबालिग गर्भवती बेटी को लेकर थाने का चक्कर काटने लगा. थानाध्यक्ष महोदय ने दिनांक 3 जून 2017 को पीडिता के पिता कि तहरीर पर नामज़द अपराध संख्या 438/2017 अंतर्गत धारा 376 आईपीसी व् 3/4 पास्को एक्ट पंजीकृत कर लिया. पीड़ित परिवार के अनुसार यहाँ से शुरू हुआ परेशानियों का दौर. आरोपों के अनुसार आरोपी पक्ष ज़हूर क्षेत्र के रसूखदार इंसान है और प्रशासन में उनकी अच्छी पकड़ है. साथ ही धनबल में काफी सक्षम है. उन्होंने पहले तो पीड़ित पक्ष को पैसो का निमंत्रण दिया बात बनती न देख फिर धमकियों पर उतर आये और पीड़ित परिवार को धमकिया देने लगे.
स्थानीय पुलिस की  भूमिका संदिग्ध – 
स्थानीय पुलिस की भूमिका इस प्रकरण में संदेह के घेरे में है. पीडिता ने और उसके पिता ने हमसे बात चीत में बताया कि पीडिता का मेडिकल हो चूका है. उसका बयान एक दीवान जी ने महिला सिपाही के सामने नोट किया है और अभी तक मजिस्ट्रेट के सामने बयान नहीं हुवा है. बात समझ से परे है कि पास्को और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध पर आज लगभग 16 दिन गुज़र जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है यही नहीं पुलिस अभी तक 164 का बयान तक नहीं करवा पाई है.
इस सम्बन्ध में जब हमने थाना प्रभारी घोसी से बात किया तो ज्ञात हुआ कि वह छुट्टी पर है और उनका कार्यभार चौकी इंचार्ज अमिला राज नारायण पाण्डेय के पास था जिनको इस घटना की विस्तृत जानकारी नहीं थी. जो संभव भी है क्योकि एक अन्य चौकी क्षेत्र का मामला होने के कारण किसी अन्य चौकी इंचार्ज को जानकारी संभव प्रतीत नहीं होती है. हमने इस सम्बन्ध में विवेचक वी.के, सिंह से बात किया तो उन्होंने महिला कांस्टेबल अभी तक न होने की अपनी मज़बूरी बताते हुवे बताया कि कल महिला सिपाही आ जाएगी और कल ही 164 का बयान हो जायेगा. आरोपी फरार है और जल्द ही उसकी गिरफ़्तारी हो जाएगी.
अब इस प्रकरण में देखने वाली बात यह होगी कि इतने गंभीर आरोपों में जब पुलिस 164 का बयान कल यानी अपराध पंजीकरण के 17वे दिन करवा रही है तो फिर आरोपी कि गिरफ़्तारी कब तक होगी और फिर पीडिता को न्याय कब तक दिलवा पायेगी. सबसे महत्वपुर्ण बात यह है कि एक बच्ची के पेट में पल रहे एक गर्भ का भविष्य क्या होगा.

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