(जावेद अंसारी)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला नहीं बदलेंगे, लालू यादव के घर इफ्तार पार्टी में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार ने कहा उनका फैसला सोच विचार कर और विपक्षी पार्टियों से बात कर लिया गया है, उन्होंने कहा कि मीरा कुमार के लिए उनके दिल में सम्मान है लेकिन अगर विपक्ष चाहता तो उन्हें भी पहले उम्मीदवार बना सकता था, इसके पहले नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए लालू यादव ने कहा था कि वह नीतीश को अपने फैसले पर विचार करने के लिए फिर से कहेंगे।
शुक्रवार को सभी की नजरें लालू की इफ्तार पार्टी पर ही टिकी हुई थी। नीतीश ने मीडिया कर्मियों से कहा, ‘क्या बिहार की बेटी का चयन हराने के लिए किया गया, जिताने के लिए क्यों नहीं किया गया, दो बार मौका था तब क्यों नहीं याद आईं बिहार की बेटी। यदि सच में सम्मान करना है तो 2019 में जीत की रणनीति बनाइए। हम लोगों ने हर पहलू पर गौर करके निर्णय लिया है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है। जहां तक जेडीयू की बात है। पार्टी स्वतंत्र निर्णय लेती है। पिछली बार जब प्रणव मुखर्जी और हामिद अंसारी उम्मीदवार थे तो बीजेपी के कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ बयानबाजी की थी तो मैंने उसकी मुखालफत की थी। नीतीश ने कहा इस मुद्दे पर किसने क्या कहा इस पर मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी है, हमें जो निर्णय लेना था हमने लिया, सब अपनी सोच के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि नीतीश के सहयोगी लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि नीतीश इतिहासिक भूल कर रहे हैं, उन्हें अपने फैसले पर विचार करना चाहिए।किसने कहा हमने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद यह फैसला किया, और जहां तक जदयू की बात है, उसने हमेशा स्वतंत्रत फैसले लिए हैं राष्ट्रपति की कुर्सी राजनीतिक लड़ाई के लिए नहीं है।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष से घोषित उम्मीदवार मीराकुमार ने बिजनौर से अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। 1985 में बिजनौर लोकसभा संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी उन्होंने दिग्गज नेता रामविलास पासवान को शिकस्त दी थी। बिजनौर से पहली बार महिला सांसद चुने जाने का रिकार्ड भी मीराकुमार के नाम दर्ज है। यही नहीं उनके मुकाबले में मायावती ने मैदान में थी और वह तीसरे स्थान पर रहीं थी।1984 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी गिरधारी लाल ने लोकदल के मंगलराम प्रेमी को 99813 मतों से हराया था। वयोवृद्ध व बीमार होने के कारण सांसद गिरधारी लाल का कुछ समय बाद निधन हो गया। सीट खाली होने के बाद 1985 के उपचुनाव में कांग्रेस ने पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवनराम की बेटी मीरा कुमार को चुनावी मैदान में उतारा। कांटे के संघर्ष में मीराकुमार ने लोकदल के रामविलास पासवान को 5, 339 वोटों से हरा दिया। मीराकुमार को 128086, रामविलास पासवान को 122747 व निर्दलीय उम्मीदवार मायावती को 61504 वोट मिले थे।1957 तक बिजनौर जिला देहरादून सीट के अंतर्गत था। 1957 में बिजनौर संसदीय सीट बनी। मीरा कुमार बिजनौर सीट से संसद पहुंचने वाली पहली महिला हैं (पूरे देश की लगी थी निगाह)बिजनौर का उपचुनाव कई मायनों में काफी दिलचस्प था। पहला, पूर्व उप प्रधानमंत्री की बेटी मीराकुमार को चुनावी मैदान में ताल ठोंकना। दूसरा, दिग्गज नेता रामविलास पासवान व मायावती का उनसे सामना। वह मायावती के राजनैतिक संघर्ष का दौर था। इसके चलते राजनैतिक हल्के में यह चुनाव चर्चा का सबब बना था।मीराकुमार ने लखनऊ जाने के लिए एक कोच लगवाया था। यह कोच नजीबाबाद से गजरौला तक संचालित होने वाली पैसेंजर ट्रेन में लगता है, जो गजरौला पहुंचने के बाद दूसरी ट्रेन में लगकर लखनऊ जाता है। इस कोच के लगने से यात्रियों को सुविधा मिली थी।