लगाया जाए मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन, चोट खाये किसान संगठनों की मॉग
छह किसानों की मौत के बाद मध्य प्रदेश के कई इलाक़ों में भड़की हिंसा, कांग्रेस ने मांगा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का इस्तीफ़ा
भोपाल : मध्य प्रदेश में मंगलवार को किसान आंदोलन के दौरान हुई गोलीबारी में छह लोगों की मौत के बाद प्रदेश में हालत गंभीर हो गई है। बुधवार को राज्य के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उज्जैन, देवास, मंदसौर, नीमच और सिहोर में हिंसक प्रदर्शन हुए।
मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में किसानों के आंदोलन के दौरान गोलीबारी से आठ लोगों की मौत का दावा करते हुए दो किसान संगठनों ने मांग की है कि प्रदेश सरकार को तत्काल बर्ख़ास्त करते हुए राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ(आरकेएमएस) के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने कहा, हमें मिल रही सूचनाओं के मुताबिक मंदसौर ज़िले में प्रदेश सरकार के इशारे पर किसानों पर गोलीबारी से पाटीदार समुदाय के छह लोगों समेत आठ व्यक्तियों की मौत हुई है।
प्रदेश सरकार इस मामले में फ़िलहाल केवल पांच लोगों की मौत की पुष्टि कर रही है। उन्होंने हालांकि अपने दावे के समर्थन में आठ मृतकों के नामों का खुलासा नहीं किया। कक्काजी के नाम से मशहूर 65 वर्षीय किसान नेता ने कहा, मंदसौर ज़िले में जिन किसानों की मौत हुई, उन पर कमर के उपर गोलियां दागी गई थीं। यह दिखाता है कि प्रदेश सरकार ने किसानों के आंदोलन को कुचलने के लिए उन पर गोलियां चलवाईं। यह सरकार जनता का नैतिक समर्थन खो चुकी है। ऐसी सरकार को फौरन बर्ख़ास्त कर प्रदेश में तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।
आम किसान यूनियन के अध्यक्ष केदार सिरोही ने भी मंदसौर ज़िले में गोलीबारी में किसानों की मौत पर आक्रोश व्यक्त किया और प्रदेश सरकार को तत्काल बर्ख़ास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि 10 जून के बाद पूरे प्रदेश में क्रमबद्ध तरीक़े से ज़ेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा और राज्य सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
पाटीदार समुदाय के स्थानीय नेता त्रिलोक गोठी ने भी दावा किया कि मंदसौर ज़िले में किसान आंदोलन में गोलीबारी से उनके समुदाय के छह लोगों समेत आठ व्यक्तियोें की मौत हुई है। गोठी ने कहा, अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंदसौर ज़िले में पाटीदार समुदाय के शोकसंतप्त परिवारों से मिलने जाएंगे, तो हम इसका पुरज़ोर विरोध करेंगे। आईजी लॉ एंड आॅर्डर एम देउस्कर के मुताबिक, मंदसौर और पिपलिया मंडी में कर्फ़्यू लगाया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने हिंसा की घटनाओं और किसानों की मौत के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया है। जबकि कांग्रेस ने शिवराज चौहान से मांग की है कि वे ज़िम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफ़ा दें।
छह प्रदर्शनकारी किसानों की मौत के बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कई इलाक़ों में उग्र प्रदर्शन किए। जगह-जगह वाहनों को तोड़ा गया, आगज़नी और पत्थरबाजी की। सिहोर ज़िले में किसानों ने वाहनों में तोड़फोड़ की, रोड जाम किए। मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने मंदसौर में हुई गोलीबारी का संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। मध्य प्रदेश के देवास ज़िले में भी प्रदर्शनकारी किसानों ने वाहनों को आग के हवाले कर दिया। देवास में थाने के बाहर खड़े वाहनों को भी जला दिया गया।
दो दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कुछ किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं पर ध्यान देने का वादा किया था। लेकिन बाक़ी किसानों ने आरोप लगाया कि किसान आंदोलन में फूट डालने के लिए यह मीटिंग की है। हम आंदोलन जारी रखेंगे। बुधवार को विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में बंद बुलाया। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘बिचौलियों से किसान है बेहाल, बीजेपी ने दे दी है उनको बंदूकों की नाल। किसान लगाते हैं क़र्ज़ माफ़ी की गुहार, और बीजेपी करती है गोलियों की बौछार।’
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में एक जून से किसान फ़सलों के उचित मूल्य और क़र्ज़ माफ़ी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार को मप्र के मंदसौर में उग्र हुए किसानों पर फायरिंग हुई, जिसमें छह की मौत हो गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने बयान दिया, ‘शिवराज सिंह चौहान को इस्तीफ़ा देना चाहिए। यह उनकी जवाबदेही है। यह अनुचित होगा कि इसकी ज़िम्मेदारी किसी पुलिस अधिकारी पर डाल दी जाए। लाशों पर बोली लगाई जा रही है, शर्म की बात है। पांच लाख, दस लाख, एक करोड़ की बात की।’
एक चैनल की ख़बर के मुताबिक, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक मीटिंग करके मध्य प्रदेश के हालात पर चर्चा की। केंद्र से दस बटालियन अर्धसैनिक बलों को मध्य प्रदेश भेजा गया है। लेकिन मंदसौर में हालत गंभीर बनी हुई है। इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं और हज़ारों की संख्या में पुलिसकर्मियों को हालात संभालने के लिए लगाया गया है। किसानों ने कहा है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती, वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। सरकार ने निर्दोष किसानों को मारकर स्थिति को गंभीर बना दिया है।’
(समाचार एजेंसियों से इनपुट के साथ)