फतवा हो तो एेसा – इराक़ी स्वयंसेवी बल जिसने इराक को दाइश के जबड़े से बाहर खींच लिया
समीर मिश्रा
मूसिल नगर दाइश के क़ब्ज़े में जा चुका था और तिकरीत में लगभग 1700 कैडिट्स का बेदर्दी से नरसंहार किया जा चुका था, इराक़ियों को निर्णायक एलान का इंतेज़ार था और वह एलान आ गया। धार्मिक नेतृत्व ने फ़तवा जारी कर दिया कि रक्षा के लिए आगे बढ़ना ‘वाजिब’ है। 13 जून 2014 का दिन था और जुमे की दोपहर थी जब यह एलान हुआ और उसी पल से इराक़ी स्वयंसेवी बल हश्दुश्शअबी की कहानी शुरू हो गई साथ ही आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई का नया अध्याय भी शुरू हो गया।
बग़दाद के उपनगरीय इलाक़ों से लेकर मध्यवर्ती इराक़ तक और उत्तरी क्षेत्रों तक हर जगह, हर क्षेत्र में स्वयंसेवी बल ने विजय के झंडे गाड़े। हश्दुश्शअबी ने भारी क़ुरबानियां दीं और ईरानी व लेबनानी सलाहकारों की मदद से एसे कारनामे अंजाम दिए जिनको देखकर हर एक हैरत में पड़ गया। दाइश का अंत हो जाने बाद स्वंयसेवी बल के सामने अब एक और बड़ा दायित्व है, पूरे समाज को एकजुट करना। देखना यह है कि स्वयंसेवी बल युद्ध के मैदान की तरह क्या राजनीति के मैदान में भी उतना ही सफल रहता है?
हश्दुश्शअबी के ख़िलाफ़, अरब, इस्राईली और पश्चिमी मीडिया ने मोर्चा खोल दिया। उसके लिए मिलिशिया का शब्द प्रयोग किया गया उस पर सांप्रदायिकता के आरोप लगाए गए। स्वयंसेवी बल के चरित्र हनन कर चौतरफ़ा कोशिश की गई लेकिन यह सच्चाई किसी से नहीं छिप सकती कि हश्दुश्शअबी ने देश, सरकार और जनता को एसे हालात में दाइश से बचाया कि जब वह दाइश के चंगुल में फंसने के बिल्कुल क़रीब थे। इस लिए कि इराक़ी सेना और सुरक्षा बल तो दाइश की तेज़ प्रगति देखकर हौसला हर गए थे। यही वजह थी कि लोग बग़दाद से अपना बोरिया बिस्तर समेट कर दक्षिणी शहरों की ओर से पलायन करने लगे थे जिन्हें सुरक्षित समझा जाता था। हश्दुश्शअबी ने पहले तो दाइश की प्रगति को रोका और फिर एक एक करके इलाक़ो को दाइश के क़ब्ज़े से आज़ाद कराना शुरू कर दिया। इस क्रम में फ़ल्लूजा, तिकरीत, सामर्रा, आमेरली और जरफ़ुस्सख़्र जैसे महत्वपूर्ण शहरों से दाइशी आतंकियों को खदेड़ा। हश्दुश्शअबी को बहुत से गलियारे एक सुरक्षा बल के रूप में देखते हैं लकिन तथ्य है कि यह फ़ोर्स अपने संकल्प, अपने मंतव्य तथा अपनी रणनीति के कारण अन्य बलों से बहुत भिन्न है।
हश्दुश्शअबी और 2018 के चुनाव
इराक़ में चुनाव का समय क़रीब आ रहा है और राजनैतिक धड़े चुनावी तैयारियां भी शुरू कर चुके हैं। राजनैतिक दलों की निगाहें हश्दुश्शअबी की ओर केन्द्रित है इस लिए कि इस फ़ोर्स को जनता का भारी समर्थन हासिल है। दाइश के विरुद्ध हश्दुश्शअबी की विजय अपने आप में बहुत बड़ा विषय है जबकि दूसरी ओर इस फ़ोर्स की ईमानदारी को भी बहुत अधिक महत्व दिया जा रहा है क्योंकि इराक़ में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस बीच हश्दुश्शअबी में शामिल कुछ धड़े चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं जबकि कुछ राजनैतिक दल यह चाहते हैं कि हश्दुश्शअबी चुनाव में उनसे गठजोड़ कर लेl