पेरिस जलवायु समझौते से निकलने का अमरीकी फ़ैसला, दुनिया नाराज़

करिश्मा अग्रवाल 
अमरीका के राष्ट्रपति ने पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने की घोषणा की तो अपेक्षा के अनुसार दुनिया भर में इस घोषणा पर नाराज़गी जताई गई। अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के सलाहकारों और अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति और कमांडरों से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव और कुछ देशों के नेताओं तक सब ने अमरीका के निर्णय की आलोचना की है। ट्रम्प ने चुनावी अभियान के दौरान कहा था कि वह राष्ट्रपति बने तो अमरीका पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकल जाएगा और उन्होंने व्यापक विरोध के बावजूद अपने इस एलान पर अमल किया।

वैसे पेरिस जलवायु समझौते से अमरीका के बाहर निकलने की प्रक्रिया पूरी होने में पांच साल का समय लगेगा। यदि उस समय तक ट्रम्प अमरीका की सत्ता में बने रहते हैं तो अमरीका विश्व पर्यावरण का सबसे ज़्यादा दूषित करने वाला देश बना रहेगा। ट्रम्प का यह फ़ैसला जो उन्होंने प्रदूषक उद्योगों और उनके मालिकों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए किया है, दुनिया के पर्यावरण को गंभीर रूप से नुक़सान पहुंचाएगा। ट्रम्प और उनके सलाहकारों ने दावा किया है कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने में इंसानों की कोई भूमिका नहीं है और जलवायु पर पौधशाला गैसों के प्रभाव से संबंधित विचार अमरीका के प्रतिद्वंद्वियों विशेष रूप से चीनियों द्वारा गढ़ा गया है। ट्रम्प की टीम का मानना है कि यदि अमरीका पैरिस समझौते पर अमल करने में व्यस्त हो गया तो विश्व सत्तर पर अपने प्रतिस्पर्धियों से से बहुत पीछे रह जाएगा जिसके नतीजे में अमरीका की अर्थ व्यवस्था प्रभावित होगी।

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