बुनकरों ने तैयार किया अपने आन्दोलन की नई रणनीति, जाने कैसे होगा आन्दोलन
जावेद अंसारी की ख़ास रिपोर्ट
वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पराडकर भवन में बुनकरों ने एक प्रेस कान्फ्रेंस करते हुए कहा की जीएसटी के खिलाफ अंदोलन बुनकर बिरादराना तन्ज़िमों ने अपनी नयी रणनीति तैयार कर ली हैं।अंदोलन बुनकरों पर से जीएसटी पूरी तरह से हटाए जाने तक जारी रहेगा। लेकिन उसमें थोड़ा परिवर्तन किया गया हैं। उन्होनें कहा कि गरीब बुनकर रोज़ कुआँ खोदकर एवं पानी पीने वाले लोगों की मुसीबतों को ध्यान में रखते हुए बुनकर के सरदारों ने यह तय किया हैं कि बुनकर अपने करघे एवं लूम को चालू रखते हुए अंदोलन जारी रखेंगे। और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने एवं मनवाने के जो भी लोकतांत्रिक तरीके हैं वो उसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगें।
क्या कहा पूर्व विधायक अब्दुल समद अंसारी ने
अब्दुल समद ने कहा कि मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी शहर में पिछले 15 दिन से लगातार विरोध चल रहा है। जीएसटी ने बुनकरों के मुर्री बंद के आंदोलन को और तेज़ हवा दे दी है। बनारसी साड़ी व्यवसायी व बुनकर अब आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कह रहे हैं। बुनकर एक गरीब मज़दूर हैं, जो 18 अट्ठारह घंटे काम करते हैं। और अपने हाथ से बुने हुए कपड़े तैयार करते हैं। 2% की मार्जिन रखकर बेचते हैं। जिस पर भारत सरकार ने गरीब बुनकर मजदूरों पर जीएसटी काला कानून धोप कर बुनकरों को अपने मकड़जाल में फसाकर काशी की कला एवं पहचान बनारसी साड़ी को खत्म करना चाहती हैं। उन्होंने कहाकि बुनकर समाज के लोगों का कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये जो हिट्लरी फरमान है वह जनता के लिए एक नासुर हैं। हम पूछना चाहते हैं मोदी जी से की क्या बनारस काशी की शान को आप खत्म कर देना चाहते। हम बुनकरों ने सुना था कि हमारे प्रधानमंत्री का बहुत बड़ा दरिया दिल एवं दयालू भी है।तो क्या मोदी जी हमारी न सही अपनी काशी बाबा भोलेनाथ की नगरी जिसकी पहचान बुनकर के बुने हुए कपड़ों से है क्या प्रधानमंत्री जी उसे खत्म कर देंगे।
ओकास अंसारी ने कहा मोदी जी नही सहा जा रहा अब बुनकरों का दर्द
15 दिनों से चल रहा बनारस के कपड़ा व्यापारियों का आंदोलन सामान्य आंदोलन नहीं है। जब भी धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम होता है, कई हज़ार लोग शांतिपूर्ण तरीक़े से जमा हो जाते हैं। मीडिया नहीं दिखाता तो ख़ुद ही तस्वीर खींच कर वायरल कराने लगते हैं। इन्हीं तस्वीरों को देखकर मोदी के राजनीतिक विरोधियों में उम्मीद जग जाती है कि गुजरात में मोदी का आधार दरक रहा है। जबकि ऐसा नहीं है। बनारस का कपड़ा आंदोलन मोदी विरोध का नहीं है। मोदी के प्रति समर्पण का आंदोलन है। सदा समर्पित रहने का आंदोलन है। इस आंदोलन में उग्रता तो है मगर अनुरोध की उग्रता है। विरोध की नहीं। जो आमतौर पर किसी भी आंदोलन का चरित्र होता है।
भारत की शान टेक्सटाइल, रहा पहचान टेक्सटाइल, बड़ा रोज़गार टेक्सटाइल, जीडीपी आधार टेक्सटाइल, इसे सब जानते हैं, लोहा मानते हैं, नहीं हम राष्ट्रविरोधी, प्रगति में नहीं अवरोधी, हमारी बात जानो, हमें न हल्का मानो, हमारी उलझन जानो, हमें न चोर मानो। व्यापारी सारे आए हैं द्वारे, समझो न प्यारे, मोदी हमारे, पूरे भारत से आवाज़ आई, मर जाएंगे सब छोटे व्यापारी। दिल्ली वाले मोदी बाबा, आया है दर पर, कपड़ा व्यापारी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रविरोधी होने का आरोप वो ज़्यादा झेलता है जो अल्पसंख्यक होता है या जो उनके समर्थन में आगे आता है। यहां अल्पसंख्यक सिर्फ़ मुसलमान ही नहीं है। अल्पसंख्यक स्थायी टैग नहीं है। किसी भी समूह या व्यक्ति को डराने के लिए उसे अल्पसंख्यक के कोने में धकेल दिया जा रहा है।
मुत्तहिदा बुनकर बिरादराना तंज़िम के संयोजक अतीक़ अंसारी ने बताया कि हमारी रणनीति के तहत हम नुक्कड़ सभा, बड़ी रैली, रोड मार्च वगैरह, सब करेंगे। उन्होनें कहा की अगर जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में काशी के इस पौराणिक और प्राचीन कुटीर, उद्योग, जिसमें लगभग 15 से 20 लाख गरीब बुनकर जुड़े हुए हैं, उन्हें राहत न मिली तो जीएसटी के खिलाफ एक निर्णायक जंग लड़ने के लिए नये सीरे से रणनीति तैयार करेंगे।
उन्होनें इस बात पर दुखःद एवं आश्चर्य वयक्त किया कि यह किस मिज़ाज की सरकार हैं जिसके मुखिया या उनके मंत्रीयों तक अपनी बात को पहुँचा पाना भी संभव नहीं है। अपने दुख-दर्द को वयक्त करने के जो भी प्रम्परा व लोकतांत्रिक तरीके एवं धरना प्रदर्शन, मार्च आदि के आयोजन के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ रही हैं। डर सताता हैं कि किस काम को करने में देशद्रोह का मुकदमा कायम हो जाए कहना मुश्किल है.
क्या हुआ निर्णय
बहरहाल बुनकर समाज के जिम्मेदारों ने तय किया हैं कि मंगलवार से लेकर जीएसटी पर केन्द्र सरकार कि मंशा साफ़ होने तक बुनकर अपना कारोबार करते हुए अंदोलन जारी रखेंगे। और यदि दुर्भाग्यवश वाराणसी के बुनकरों को अपने व देश के प्रधानमंत्री से राहत न मिली तो अंदोलन को नयी धार के साथ शुरू किया जाएगा। इस क्रम में बड़ी बाज़ार में बुनकर नेता शमीम अंसारी का अनशन अनवरत जारी रहेगा।
पत्रकारवार्ता में सभी तंज़िमों के कोर कमेटी के सदस्य शामिल थे जिसमे अनवारूल हक़ अंसारी, हाजी सलमान शाहिद, जैनूल होदा, अंसार अहमद, हाजी नावेद, हाफ़िज़ अज़मल, हाजी अब्दूर्रहीम, अरशद मेराज, हाजी बाबू लाल, हाजी असलम, हाजी जैनूल आब्दिन, रमज़ान अली, सरदार मो. अहमद, हाजी जावेद, शमीम नोमानी, खालिक़ रज़ा, अब्दुल्लाह हाजी वकार, हाफ़िज़ कल्लू , मुर्तजा, ताहा आदी लोग मौजूद थे।