मूसिल से तथाकथित ख़िलाफ़त का अंत
करिश्मा अग्रवाल
इराक़ के सरकारी टेलिविज़न ने घोषणा की है कि मूसिल से दाइश की खि़लाफ़त समाप्त हो गई। इराक़ी
सैनिकों द्वारा मूसिल की जामा मस्जिद पर नियंत्रण के साथ ही इस देश के
रक्षामंत्रालय ने घोषणा की है कि मूसिल का कोई भी क्षेत्र अब आतंकवादी गुट
दाइश के नियंत्रण में नहीं है।
सैनिकों द्वारा मूसिल की जामा मस्जिद पर नियंत्रण के साथ ही इस देश के
रक्षामंत्रालय ने घोषणा की है कि मूसिल का कोई भी क्षेत्र अब आतंकवादी गुट
दाइश के नियंत्रण में नहीं है।
मूसिल
की स्वतंत्रता के लिए चलाए जाने वाले अभियान के कमांडर अब्दुल अमीर ने
बताया है कि गुरूवार को इराक़ के सैनिकों ने उस मस्जिद पर नियंत्रण करके
दाइश की ख़िलाफ़त समाप्त कर दी जिसे दाइश के आतंकवादियों ने विस्फोट करके
नष्ट कर दिया था। मूसिल की अन्नूरी जामा मस्जिद को पिछले सप्ताह दाइश के
आतंकवादियों ने उस समय विस्फोट करके नष्ट कर दिया था जब इराक़ी सैनिकों ने
दाइश के आतंकवादियों को इस क्षेत्र में चारों ओर से घेर लिया था। अन्नूरी
मस्जिद लगभग आठ शताब्दियों पुरानी थी। इराक़ की सेना के प्रवक्ता यहया
रसूल ने कहा है कि दाइश की काल्पनिक सरकार अब समाप्त हो चुकी है। जून 2014
को स्वयंभू ख़लीफ़ा अबूबक्र बग़दादी ने मूसिल की अन्नूरी मस्जिद में
उपस्थित होकर अपनी तथाकथित ख़िलाफ़त की घोषणा की थी। यह मस्जिद दाइश की
शक्ति का प्रतीक मानी जाती थी। अब मुट्ठी भर दाइशी ही मूसिल में बचे हैं
जो बुरी तरह से घिर चुके हैं।
की स्वतंत्रता के लिए चलाए जाने वाले अभियान के कमांडर अब्दुल अमीर ने
बताया है कि गुरूवार को इराक़ के सैनिकों ने उस मस्जिद पर नियंत्रण करके
दाइश की ख़िलाफ़त समाप्त कर दी जिसे दाइश के आतंकवादियों ने विस्फोट करके
नष्ट कर दिया था। मूसिल की अन्नूरी जामा मस्जिद को पिछले सप्ताह दाइश के
आतंकवादियों ने उस समय विस्फोट करके नष्ट कर दिया था जब इराक़ी सैनिकों ने
दाइश के आतंकवादियों को इस क्षेत्र में चारों ओर से घेर लिया था। अन्नूरी
मस्जिद लगभग आठ शताब्दियों पुरानी थी। इराक़ की सेना के प्रवक्ता यहया
रसूल ने कहा है कि दाइश की काल्पनिक सरकार अब समाप्त हो चुकी है। जून 2014
को स्वयंभू ख़लीफ़ा अबूबक्र बग़दादी ने मूसिल की अन्नूरी मस्जिद में
उपस्थित होकर अपनी तथाकथित ख़िलाफ़त की घोषणा की थी। यह मस्जिद दाइश की
शक्ति का प्रतीक मानी जाती थी। अब मुट्ठी भर दाइशी ही मूसिल में बचे हैं
जो बुरी तरह से घिर चुके हैं।
मूसिल से दाइश को
निकाल बाहर करने में इराक़ के सैनिकों के साथ ही वहां के स्वयंसेवी बलों की
महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिनको “हश्दुश्शाबी” के नाम से जाना जाता है।
इन स्वयंसेवियों ने दाइश जैसे आतंकवादी गुट के समस्त षडयंत्रों को पूरी
तरह से विफल बना दिया। अब मूसिल से दाइश के ख़ात्मे ने हश्दुश्शाबी की
उपयोगिता को सिद्ध कर दिया है।
निकाल बाहर करने में इराक़ के सैनिकों के साथ ही वहां के स्वयंसेवी बलों की
महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिनको “हश्दुश्शाबी” के नाम से जाना जाता है।
इन स्वयंसेवियों ने दाइश जैसे आतंकवादी गुट के समस्त षडयंत्रों को पूरी
तरह से विफल बना दिया। अब मूसिल से दाइश के ख़ात्मे ने हश्दुश्शाबी की
उपयोगिता को सिद्ध कर दिया है।
तथाकथित
ख़िलाफ़त की समाप्ति ने यह सिद्ध कर दिया है कि आतंकवाद से मुक़ाबले के
लिए जिस चीज़ की ज़रूरत होती है वह है दृढ़ इच्छाशक्ति। इराक़ियों ने
आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में एेसे आतंकवादी गुट को धूल चटा दी जो पूरी
दुनिया के लिए गंभीर ख़तरा बन चुका था। हालांकि दाइश का ख़तरा इराक़ से तो
समाप्त हो चुका है किंतु विश्व के अन्य क्षेत्रों से यह ख़तरा अभी समाप्त
नहीं हुआ है। दाइश को हर जगह से समाप्त करने के लिए इराक़ी राष्ट्र की
भांति केवल दृढ संकल्प की आवश्यकता है।
ख़िलाफ़त की समाप्ति ने यह सिद्ध कर दिया है कि आतंकवाद से मुक़ाबले के
लिए जिस चीज़ की ज़रूरत होती है वह है दृढ़ इच्छाशक्ति। इराक़ियों ने
आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में एेसे आतंकवादी गुट को धूल चटा दी जो पूरी
दुनिया के लिए गंभीर ख़तरा बन चुका था। हालांकि दाइश का ख़तरा इराक़ से तो
समाप्त हो चुका है किंतु विश्व के अन्य क्षेत्रों से यह ख़तरा अभी समाप्त
नहीं हुआ है। दाइश को हर जगह से समाप्त करने के लिए इराक़ी राष्ट्र की
भांति केवल दृढ संकल्प की आवश्यकता है।