सरकार क्या चाहती है, कि प्रदेश में कोई मांस न खाए: हाईकोर्ट

मो आफताब फ़ारूक़ी

इलाहाबाद। गोरखपुर में स्लाटर हाउस नहीं होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, क्या सरकार चाहती है कि प्रदेश में कोई मांस न खाए? कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि गौ हत्या के प्रतिबंध के बाद अन्य जानवरों के वध की सरकारी नीति सरकार स्पष्ट करे। सरकार की तरफ से बहस कर रहे अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को प्रदेश में गो हत्या प्रतिबंधित होने की जानकारी दी। परन्तु कोर्ट ने जानना चाहा कि अन्य जानवरों के वध की क्या नीति है? आखिर सरकार स्लाटर हाउस क्यों नहीं बना रही है। इस पर कोर्ट 20 जुलाई को फिर सुनवाई करेगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता की खण्डपीठ ने दिलशाद अहमद की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने महाधिवक्ता से नीति स्पष्ट करने को कहा था। महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया था कि जमीन उपलब्ध न हो पाने के कारण गोरखपुर में पशु वधशाला नहीं बन पा रही है। कोर्ट ने नाराजगी प्रकट करते हुए इस संबंध में सरकार मत स्पष्ट करने को कहा था। बृहस्पतिवार को अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि पशुओं के वध को नियंत्रित करने का सरकार को अधिकार है। अवैध बूचड़खाने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत बंदकर दिये गये हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों के खाने के अधिकार पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती। आखिर छोटे जानवरों के वध की व्यवस्था करनी होगी। वैसे भी 15 छोटे जानवरों के वध के लिए लाइसेंस जरूरी नहीं है। क्या सरकार चाहती है कि प्रदेश में कोई मांस न खाए। पशु वध की व्यवस्था करने में क्या अड़चन है। मामले की सुनवाई बीस जुलाई को होगी।                        

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