गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन रोके जाने से दो दिन के भीतर 30 बच्चों की मौत
सुहैल अख्तर
गोरखपुर अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और शुक्रवार को सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए. इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया. हॉस्पिटल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही के चलते 30 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा
अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से 30 मासूम मौत की आग़ोश में समा गए. ये घटना गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की है, जहां मरने वालों में 13 बच्चे एनएनयू वार्ड और 17 इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती थे. बताया जा रहा है कि 69 लाख रुपये का भुगतान न होने की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई गुरुवार की रात से ठप कर दी थी.
दरअसल अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और शुक्रवार को सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए. इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया. हॉस्पिटल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही के चलते 30 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. नेहरू अस्पताल में ऑक्सीज़न सप्लाई करने वाली फर्म का 69 लाख रुपये का भुगतान बकाया था.
जिसके चलते गुरुवार शाम को फर्म ने अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप कर दी. गुरुवार से ही मेडिकल कालेज में जम्बो सिलेंडरों से गैस की आपूर्ति की जा रही है. बीआरडी मेडिकल कालेज में दो साल पहले लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया था. इसके जरिए इंसेफेलाइटिस वार्ड सहित करीब तीन सौ मरीजों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है.
शुक्रवार सुबह सात बजे ऑक्सीजन पूरी तरह खत्म हो जाने के चलते इंसेफेलाइटिस वार्ड में करीब दो घंटे तक मरीजों को अम्बू बैग के सहारे रहना पड़ा. 12 बजे कुछ सिलेंडर पहुंचे लेकिन इंसेफेलाइटिस इमरजेंसी वार्ड में अभी भी सिलेंडरों की क्राइसिस बनी हुई है. इंसेफेलाइटिस के वार्ड नंबर 100 में हर डेढ़ घंटे में 16 सिलेंडर खर्च हो रहे हैं, चारों तरफ अफरातफरी मची हुई है.