देखे ख़ुफ़िया कैमरे की नज़र से कैसे लूट रहे है ई गवर्नेन्स सर्विस वाले जनता को
इब्ने हसन जैदी.
कानपुर. उत्तर प्रदेश सरकार ने जनता के डाटा को डिजिटल बनाने के लिए कवायद शुरू की तो तहसीलों में लम्बी भीड़ लग गई । इस काम को आसान बनाने के लिए सरकार ने ई गवर्नेन्स सर्विस शुरू की। सरकार ने तहसील पर से बोझ कम करने और जनता को उन्ही के क्षेत्रों में सीधी सुविधा देने के लिए ई गवर्नेन्स सर्विस सेन्टर के लाइसेंस देना शुरू किया । लेकिन अब सरकार की ई गवर्नेन्स सर्विस को सर्विस प्रोवाइडर चुना लगा रहे है ।सर्विस प्रोवाइडर अपनी मनमाानी कर रहे हैै। और गैर कानूनी वसूली कर रहे है। जिसकी हम आपको इसकी सीधी तस्वीरे दिखा रहे हैईनकी इस बेईमानी पर कानपुर ज़िले के अधिकारी भी बेेेखबर है।
सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार कार्ड , पैन कार्ड , जैसे 22 प्रमाण पत्रों को सरकार ने आवश्यक बनाया है । जिनका तहसील से प्रमाणित प्रमाण पत्र ही मान्य है। इन प्रमाणित कागजों को विभिन्न विभागों में विभिन्न कार्यों में लगाया जाना अनिवार्य कर दिया है । जिसकी वजह से तहसीलों में लम्बी भीड़ इकठा होगई थी । सरकार ने जनता को असुविधा न हो इसके लिए ई गवर्नेन्स के तहत हर ज़िलों में सर्विस प्रोवाइडर के लाइसेंस जारी किए थे जिसमे कानपुर में भी दो सौ से ज़्यादा सेंटर खोले गए थे ।
यह सर्विस प्रोवाइडर प्रति प्रमाण पत्र के लिए दस से बीस रुपये के लिए जिला प्रशासन की तरफ से अनुबंधित थे लेकिन यह सर्विस प्रोवाइडर ने प्रमाण पत्रों को बनाने का धंधा बना लिया अब यह एक प्रमाण पत्र को बनाने के लिए तीन सौ चार सौ रुपये वसूल रहे है । जबकि सबकुछ सरकार ने आन लाइन कर रखा है । अगर कोई ज़रूरत मन्द जिसको अर्जेंट प्रमाणपत्र चाहिए तो यह सर्विस प्रोवाइडर एक दो दिन का समय लेकर दो दो तीन तीन हज़ार रुपये वसूल लेते है । जबकि एक प्रमाण पत्र बनने में चार से पंद्रह दिन लगते है। इनकी इसी हेरा फेरी और अवैध वसूली की वजह से सर्विस प्रोवाइडर हज़ारों रुपये रोज़ाना कमा रहे हैं । जब मीडिया के द्वारा ज़िला प्रशासन के सामने जब यह सच्चाई सामने आई तो ज़िला प्रशासन ने ई सर्विस प्रोवाइडर एजेंसीज पर रोक लगा दी है और इनकी जांच करने की बात कर रहे हैं।