बोली सकीना फूफी आया है अब जुलजना
आसिफ रिज़वी
मऊ यौम ए आशूरा से पूर्व 7 वीं मुहर्रम को नगर के विभिन्न इमामबाड़ों से अक़ीदतमंदों ने पूरी आस्था के साथ जलूस निकाला। इस बीच अक़ीदतमंदों ने रसूल स0 के नवासों की शहादत एवं हज़रत अली रजी0 की याद में नौहा ख्वानी एवं सीना ज़नी की। प्राप्त सूचना के अनुसार अंजुमन अलमदारे हुसैनी क्यारी टोला, अंजुमन बाबुल इल्म जाफरिया मलिक टोला, अंजुमन अलम अब्बासिया क़ाज़ी टोला के अलावा अन्य अंजुमनों के सदस्यों ने अपने अपने इमामबाड़ों से 7 वीं मुहर्रम का जलूस निकाला। इस दौरान ज़िला प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से पुख्ता इंतेज़ाम कर रखा था ताकि किसी प्रकार की कोई घटना न हो। मुहर्रम तथा दसहरा का त्योहार एक साथ पड़ने के कारण त्योहार को शान्ति पूर्वक सम्पन्न कराने हेतु ज़िला प्रशासन को एक बहुत बड़ा चैलेन्ज था। संस्कृत पाठशाला हमेशा से ही संवेदनशील समज्ञा जाता रहा है तथा पिछले तीन वर्षों से मुहर्रम एवं दसहरे का त्योहार एक साथ पड़ने के कारण रास्तों में पड़ने वाली दुर्गा प्रीतिमाओं का सामना न हो उसको लेकर ज़िला प्रशासन को काफी मुशक्कत उठानी पड़ती है। शान्ति समिति के समय दुर्गा पूजा समिति एवं ताज़ियादार कमेटी के सदस्यों ने यह पहले ही तय कर लिया था कि जलूस के रास्तों में पड़ने वाली दुर्गा की प्रतिमाओं के सामने आने से पूर्व ही पुलिस क़तारबंद हो कर दुर्गा की प्रतिमाओं का परदा कर लेगी और अलम का जलूस दुर्गा पण्डालों के पास आते ही नौहा ख्वानी एवं सीना कोबी बंद कर देगा तथा दुर्गा पण्डालों से भी किसी प्रकार की आवाज़ नहीं होगी और ठीक वैसा ही हुआ भी और जलूस शान्ति पूर्वक होता हुआ औरंगाबाद होते हुए औरंगाबाद ईदगाह पहुंचा उसके बाद वहां से शान्ति पूर्वक अपने अपने इमाम चौक को वापस लौट गया। ज़िला प्रशासन से सुरक्षा की दृष्टि से संस्कृत पाठशाला को छावनी में तबदील कर दिया था। इस बीच कहीं से किसी तरह की कोई घटना नहीं हुई