रो रो के कह रही है असग़र की बे ज़ुबानी ऐ अलकमा के पानी,
घोसी (मऊ)। नगर के बड़ागांव स्थित जाफरी मस्जिद के सहन में शाश्माहे मोजाहिद कर्बला के सबसे छोटे शहीद इमाम हुसैन अ. स. के सुपुत्र जनाबे अली असगर अ. स. की शहादत की याद में एक शबबेदारी का आयोजन किया गया। शबबेदारी का आगाज़ अंजुमन सज्जादिया ने सोज़ख्वानी से की उस के बाद मौलाना शफ़क़त तक़ी की तक़रीर हुई उन्हों ने कहा कि जब कर्बला के मैदान में एक एक करके सब इमाम के साथी शहीद हो गए तो इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में जाते हैं और एक आवाज़ बुलंद करते है ” है कोई जो मेरी मदद को आये” इस आवाज़ का सुनना था कि जनाबे अली असग़र ने अपने आप को झूले से गिरा दिया। असग़र का झूले से गिरना था कि ख्यामे हुसैनी में शोर बरपा हो गया। जब इमाम ने बीबियों के रोने की आवाज़ सुनी तो खैमे के पास आते है और कहते है कि बहन मेरी मौजूदगी में रोने का सबब क्या है जनाबे ज़ैनब ने कहा कि भैया आप की आवाज़ में इतना दर्द था जिसे सुनकर अली असग़र ने अपने आप को झूले से गिरा दिया है। इमाम अली असग़र को लेकर मैदाने कर्बला में आते है और फौजे यज़ीद से बच्चे के लिए पानी मांगते हैं लेकिन जब कोई जवाब नही मिला तब इमाम ने बच्चे को जलती ज़मीन पे रख दिया। ये देख कर यज़ीदी फौज मुँह फेर कर रोने लगी। फौज की बिगड़ती हालत को देख उमरे साद ने हुर्मला को हुक्म दिया कि इमाम के बच्चे को मार दे।हुर्मला ने तीन भाल का तीर चलाया बच्चा बाप के हाथों पे पलट गया और इस तरह अली असग़र शहीद हो गए।
शबबेदारी में गांव की अंजुमनों के अलावा अंजुमन अनसारे हुसैनी रजिस्टर्ड मोबारकपुर,अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा सय्यदवाड़ा मोहम्दाबाद, अंजुमन मोहिब्बाने हुसैनी समन्दपुर, अंजुमन हुसैनी मोबाइल सर्विस मोबारकपुर ने नौहाख्वानी की ने नौहा पढ़ा
हलमिन की सदा सुनकर बेशीर मचलता बेशीर मचलता है
शैय लाये जो असग़र को रन में तो ओदु समझे, क़ुरआन के दामन क़ुरआन का पारा है
शमीम हैदर और तफहीम हैदर ने पढ़ा
रो रो के कह रही है असग़र की बे ज़ुबानी ऐ अलकमा के पानी, हर तशना लब से कहना रोकर मेरी कहानी ऐ अलकमा के पानी
नौहा सुनकर उपस्थित लोग अश्कबार हुए और मादरे हुसैन जनाबे फ़ातिमा बिन्ते रसूले खुदा को उनके लाल का पुरसा दिया।
लगभग 2 बजे रात्रि शबबेदारी में हज़रत अली असग़र के झूले को लेकर नौहा पढ़ते हुए बड़ागांव बांधपर स्थित दरगाह हज़रत अब्बास अलमदार पर दफन किया गया।