अखिलेश के ”ड्रीम प्रोजेक्ट” पर लड़ाकू विमानों का करतब, दुनिया देखा भारत का दम
जावेद अंसारी
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमानों की ये ड्रिल इसलिए की जा रही है ताकि युद्ध के हालात में जरूरत पड़ने पर एक्सप्रेस-वे को ही रनवे स्ट्रीप में तब्दील कर दिया जाए. वायुसेना के 20 विमान आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर उतरेंगे, जो किसी एक्सप्रेस-वे पर अब तक की सबसे बड़ी लैंडिंग होगी. एक्सप्रेस वे पर एक के बाद एक तीन मिराज-2000 विमान उतरे. इसकी स्पीड 2495 किलोमीटर प्रति घंटा है. वायुसेना में 50 मिराज-2000 विमान हैं. ये विमान दूर तक मार करने के लिए 530्D मिसाइल से लैस है. यह हवा में ही दूसरे विमान को मार गिराने में सक्षम है. इसमें 30 MM की तोप लगी है.
सबसे पहले ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-130 J सुपर हरक्यूलिस यमुना एक्सप्रेवस-वे पर उतरा. इसमें से गरुड़ कमांडो अपनी गाड़ियों और साजोसामान के साथ उतरे. यह दुनिया का सबसे बड़ा मालवाहक जहाज है. यह विमान किसी भी मिसाइल को डिटेक्ट करने में सक्षम है. चीन की तरफ से घुसपैठ रोकने के लिए इसकी तैनाती की गई है.
युद्ध के समय में किसी भी देश की कोशिश होती है कि वो दुश्मन के एयरबेस और एयर-स्ट्रीप को तहस नहस कर दे ताकि उसके लड़ाकू विमानों को उड़ने या फिर लैंड करने का मौका ना दिया जाए. इसीलिए हाईवों को इस तरह के कोंटिजेंसी प्लान के लिए तैयार किया जाता है. भारत में ये तीसरी बार है कि वायुसेना के लड़ाकू विमान किसी एक्सप्रेसवे पर टच डाउन कर रहे हैं. इससे पहले भी एक बार लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर लड़ाकू विमान टच डाउन कर चुके हैं. भारत में सबसे पहले मई 2015 में यमुना एक्सप्रेस-वे पर मथुरा के करीब मिराज विमानों ने लैंडिग की थी. मॉर्डन वॉरफेयर में एयरबेस के साथ साथ लड़ाकू विमानों को जमीन पर उतारने के लिए खास तरह के एक्सप्रेसवे और हाईवों को ही लैंडिग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए भारतीय वायुसेना इस तरह की ड्रिल कर रही है.