कानपुर –  बेकनगंज थाना प्रभारी के नज़र में है पत्रकार भीड़ का एक हिस्सा

समर रुदौलवी.

कानपुर. कहने को तो काफी कहा जाता है कि पत्रकार भीड़ का हिस्सा नहीं होते. पत्रकार समाज का एक आईना होता है और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होता है. मगर कानपुर पुलिस के लिये पत्रकार एक भीड़ का हिस्सा ही शायद है और उसकी नज़र में एक व्यक्ति विशेष ही पत्रकार है एवं उसके द्वारा ही पत्रकार होने का प्रमाण पत्र मिले तो आप पत्रकार है, ऐसा हम नहीं बल्कि बेकनगंज के थाना प्रभारी महोदय का कहना है.

घटना कुछ इस प्रकार है कि थाना प्रभारी बेकनगंज आज अपने क्षेत्र के औचक निरिक्षण पर थे. इसी दौरान वह टहलते हुवे रूपम चौराहे पर रात्रि लगभग 12 बजे पहुच गये. ज्ञातव्य हो कि रूपम चौराहे पर खाने के होटल देर रात तक खुले रहते है और आवागमन के साथ चौराहे के खाने पीने के होटलों पर ग्राहकों की भीड़ भी रहती है. थाना प्रभारी महोदय एक लगायत सभी होटलों को बंद करवाना शुरू कर दिया. इसी दौरान मेरा भी उधर से गुज़र हो रहा था और मैं भी रुक कर देखने लगी. बतौर कानून व्यवस्था उनके प्रयास को समझने की कोशिश कर रही थी, तभी एक पत्रकार महोदय ने इस कार्यवाही का फोटो लेने की कोशिश किया. अचानक कंधे पर सुशोभित तीन तारो के साथ थाना प्रभारी महोदय की नज़र पड़ी और भीड़ पड़े थाना प्रभारी महोदय पत्रकार से तथा अभद्र भाषा का उपयोग करते हुवे कहा कि तू फोटो कैसे ले रहा है. पत्रकार महोदय ने शालीनता से जवाब दिया कि मान्यवर यह मेरा काम है और मैं एक पत्रकार हु, पत्रकार नाम सुनते ही थाना प्रभारी ने तत्काल अपनी पहुच ऊपर तक बताना शुरू किया और कहा कि कानपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष को जानता है तू. पत्रकार ने जवाब दिया जी जानता हु और वह भी मुझको जानते है. फिर भी साहेब को गुस्सा सातवे आसमान पर था और थाना प्रभारी महोदय ने पत्रकार को धक्का देने का प्रयास किया तो पत्रकार भी उनके सवालो का जवाब देने लगे. थाना प्रभारी की पत्रकार से की जा रही अभद्रता को देख क्षेत्रीय नागरिक भी इकठ्ठा हो गये और थाना प्रभारी के तौर तरीको का विरोध करने लगे. भीड़ जुटती देख थाना प्रभारी महोदय ने धीरे से वहा से चले जाना ही बेहतर समझ लिया और पत्रकार को बाद में समझ लेने की बात कहते हुवे चले गये.

इस घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा थाना प्रभारी ने अपने नाम का बैच तक नहीं लगाया हुआ था, चर्चाओ को आधार माना जाये तो थाना प्रभारी महोदय आम जनता से भी कई बार अभद्रता कर चुके है. लोगो की चर्चा के अनुसार थाना प्रभारी की एक कानपुर के वरिष्ठ पत्रकार से अच्छी बातचीत है या फिर यह कहा जाये कि थाना प्रभारी को उनका वरदहस्त प्राप्त है. इसी कारण थाना प्रभारी कलम पर अपनी लगाम समझते है. शायद थाना प्रभारी को यह नहीं पता है कि कलम निष्पक्ष होती है और निष्पक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती है. पत्रकार कोई वरिष्ठ पैदा नहीं होता सभी इसी जगह आकर काम सीखते और करते हुवे वरिष्ठ होते है. अब देखना है की कानपुर की कप्तान साहिबा जो एक तेज़ तर्रार आईपीएस अधिकारी है और अपने कर्तव्यों के प्रति कर्त्तव्य निष्ठां हेतु जानी जाती है वह थाना प्रभारी बेकनगंज को यह बता पाती है कि पत्रकार भीड़ का हिस्सा नहीं है.

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *