दोहा सऊदी अरब के निर्देश पर सीरिया में आतंकवादियों का समर्थन करता थाः कतर के पूर्व प्रधानमंत्री
पश्चिमी सरकारें सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद की कानूनी सरकार का तख्ता पलटना और उन्हें सत्ता से हटाना चाहती थीं। क़तर के पूर्व प्रधानमंत्री ने रहस्योदघाटन किया है कि उनका देश सऊदी अरब, तुर्की, अमेरिकी सैनिकों और दूसरे पक्षों के समर्थन से सीरिया में आतंकवादियों और सशस्त्र गुटों का समर्थन करता था। हमद बिन जासिम आले सानी ने कहा कि सऊदी अरब ने सीरिया के मामले को कतर के हवाले कर दिया था ताकि दोहा के माध्यम से वह अपनी नीतियों को व्यवहारिक बना सके और इस संबंध में पूरे प्रमाण भी मौजूद हैं।
सीरिया संकट के संबंध में विभिन्न रहस्योदघाटनों से यह वास्तविकता पहले से अधिक आम जनमत के लिए स्पष्ट हो गयी है कि सीरिया संकट विदेशियों के हस्तक्षेप का परिणाम है। सीरिया संकट पर दृष्टि डालने से भली- भांति इस बात को समझा जा सकता है कि पश्चिमी देशों और क्षेत्र की कुछ अरब सरकारों ने सीरिया के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया और इन देशों व सरकारों ने सीरिया के उन लोगों की आपत्तियों का दुरुपयोग किया जो सीरिया में सुधार की मांग कर रहे थे पर इन देशों व सरकारों ने उनकी मांग की आड़ में आतंकवादियों का समर्थन किया और उन्हें विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस करके सीरिया भेजा।
पश्चिमी सरकारें सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद की कानूनी सरकार का तख्ता पलटना और उन्हें सत्ता से हटाना चाहती थीं। यह उस स्थिति में है जब सीरिया के अधिकांश लोगों ने बारम्बार प्रदर्शन करके बश्शार असद के प्रति अपने समर्थन की घोषणा की। इसी जनसमर्थन के परिप्रेक्ष्य में बश्शार असद ने वर्ष 2014 में राष्ट्रपति का चुनाव करवाया और तीसरी बार उन्हें सात वर्षों के लिए सीरिया के राष्ट्रपति के रूप में चुन लिया गया। बहरहाल सीरिया संकट विदेशी हस्तक्षेप का परिमाण है और कतर जैसे देश का सीरिया संकट में हस्तक्षेप करने से दूर हो जाना और सही रास्ता व नीति अपनाने से सीरिया सहित क्षेत्रीय संकटों के समाधान में सहायता मिलेगी।