आम चुनाव के बीच नेपाल में बड़ा राजनीतिक उलटफेर, माओवादी प्रचंड गुट ने सरकार से हटने का लिया फैसला

तीनों माओवादी गुटों के एक होने से भारत हुवा चौकन्ना, खतरे में नेपाल की देउबा सरकार

 

महाराजगंज-नेपाल//

अाम चुनाव के बाद राजनीतिक उलटफेर के चलते नेपाल का माहौल फिर से गर्म हो गया है| राजनितिक अस्थिरता के कारण पूरे नेपाल राष्ट्र मे तनाव तो है ही असके असर से भारत भी अछूता नही रहेगा| मामला यह है कि नेपाल में तीनों कम्युनिस्ट पार्टियों के अचानक एक हो जाने से राजधानी में राजनीतिक सरगर्मियां बढ गयी वहीं नेपाल की देउबा सरकार की गद्दी खतरे में पड़ गई है।  आम चुनाव के बीच बड़े राजनीतिक उलटफेर से राजनीतिक स्थिरता की स्थति पैदा हो गई है|अचानक तेजी से बदले इस घटनाक्रम में पूर्व माओवादी नेता बाबूराम भट्टाराई,एमाले तथा प्रचंड गुट के माओवादी केंद्रएक हो गए हैं और आसन्न विधानसभा तथा संसद का चुनाव एक साथ एक ही निशान पर लड़ने का फैसला किया है।

इसी के साथ प्रचंड माओवादी गुट जो अभी देउबा सरकार में भागीदार है, अब सरकार से हटना का फैसला कर लिया है। प्रचंड गुट के इस फैसले से देउबा सरकार संकट मे आ गई। गुरुवार को अपने सारे कार्यक्रम निरस्त कर देउबा इस कट से निपटने के लिए राजधानी मे डेरा डाले हुवे हैं। मालूम हो कि हाल ही संपन्न स्थानीय निकाय चुनाव में प्रचंड गुट के माओवादी तथा भट्टाराई के नया शक्ति पार्टी को जबर्दस्त झटका लगा था वहीं तराई मे सक्रीय मधेसवादी पार्टियां भी कुछ कर पाने मे विफल रही।मधेश पार्टियों में भगदड़ का सिलसिला भी शुरू हो गया था। इसके अधिकांश बड़े नेता नेपाली कांग्रेस और एमाले का दामन थामना शुरू कर दिए थे।पिछले दिनो तराई मे आए प्रचंड ने कहा था कि आने वाले दिनों में राजनीति के नए समीकरण बनेंगे।तब लोगों ने नेपाली कांग्रेस और प्रचंड की पार्टी के गठजोड़ की उम्मीद जताई थी।अब अचानक तीनो माओवादी पार्टियों के एक होने से नेपाल के राजनीतिक विष्लेसक भी चौंक गए।

दूसरी तरफ नेपाल में बदले नए राजनीतिक समीकरण से भारत भी चौकन्ना हो गया।काठमांडू में भारत के राजदूत मंजीब सिंह पल पल की खबर नई दिल्ली को उपलब्ध करा रहे हैं।जानकारों का कहना है कि नेपाल को लेकर भारत एक बार फिर कूटनीतिक दृष्टि से बिफल हुआ। नेपाल में जिस तेजी से राजनीतिक उथलपुल मचा है उससे आम चुनाव पर भी ग्रहण लग गया है।दो चरणो मे होने जा रहे चुनाव मे अधिकांश उम्मीदवा तय हो चुके थे और वे अपने क्षेत्रों मे प्रचार में जुट गए थे।नेपाल निर्वाचन सदन के सूत्रों के अनुसार अब अगले कुछ दिनों तक चुनाव की तैयारी पर भी ब्रेक लग गया।

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