सरिता चौधरी की कलम से – बेटी तुम जुग जुग जियो …..
इस लेख की लेखिका अधिवक्ता सरिता चौधरी है जो समाज सेवा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम रखती है.
नमस्कार. आज बेटी दिवस है. आप सभी को बेटी दिवस की हार्दिक बधाई हो. समाज में बेटियां बेटो से कही आगे है. आज जो काम बेटे कर सकते है वह काम बेटियाँ कर सकती है. इन्दिरा से लेकर उषा तक इसके उदहारण है. बेटियाँ आज हर क्षेत्र में आगे जा रही है और पुरुष समाज के साथ कंधे से कन्धा मिला कर खडी है…………..
जी हा, ऐसे भाषण बड़े बड़े मंचो से सुबह होते ही बहुत सुनाई देंगे. हर तरफ हर कोई बेटी दिवस की बधाई देने में मशगुल रहेगे. बड़े बड़े मंच सजेगे और बड़ी बड़ी बाते होंगी, कई मंचो से तो कुछ बेटियों को सम्मानित भी किया जायेगा. लोग कसम खा खा कर कहेगे बेटी को पढाओ बेटी को बचाओ. सब मंचो से सफ़ेद रंग में लोग बेटियों को बचाने और समाज को तरक्की देने की बात करेगे.
वैसे आप गौर से टहल के देखेंगे तो उसी मंच के पीछे की तरफ जो सन्नाटी सड़क है उस रास्ते से जाती हुई किसी बेटी को कोई रोड साइड रोमियो छेड़ रहा होगा. उसके अगले नुक्कड़ पर पान और चाय के खोमचे पर सज धज कर खड़े कुछ सामाजिक हीरो टाइप के युवक आती जाती बेटियों को ऐसे देख रहे होंगे कि उनकी नज़रे उस बेटी को चुभ रही होगी. देश में कही न कही एक बेटी की अस्मत तार तार हो रही होगी. किसी कार्यालय में सहकर्मी अथवा बॉस के तंग निगाहों का शिकार भी कोई बेटी हो रही होगी. मगर साहेब होने दो, लोग बेटी दिवस मनाने में लगे है तो बेटियों पर कुछ बढ़िया सा बोलते है.
कई अखबारों के सम्पादकीय भी शायद इसी मुद्दे पर होंगे और उसी अख़बार के किसी कोने में किसी बेटी का उत्पीडन भी छपा होगा. बेटी दिवस तो पुरे देश में मनाया जायेगा तो फिर वह प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के BHU में भी मनाया जायेगा. शायद इस बार उन बेटियों को यहाँ थोडा सम्मानित करने का प्रयास होगा जिनको कैम्पस में शोहदे छेड़ते थे. थोडा मान उन बेटियों को भी मिल जायेगा जिनके शरीर पर आन्दोलन के दौरान पुरुष की लाठियाँ पड़ी थी. आखिर वह भी तो बेटी है. सम्मान उसको भी साहेब कुछ दे देना जिस बेटी ने अपने बाल मुंडवा लिये थे क्योकि उसको शोहदे छेड़ते थे.
साहेब मगर इस बेटी दिवस पर उस बेटी को न बुलाना किसी कार्यक्रम में जिसके उपर पुलिस अधीक्षक आवास के पास ही तेजाब फेक दिया गया था. उस बेटियों को तो एकदम न बुलाना जिनके चेहरे पर शोहदों ने तेजाब फेक दिया और आज वह आईना देख कर खुद की शक्ल पर चीख उठती है. आखिर अंतरर्राष्ट्रीय बेटी दिवस है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर का ये सेलिब्रेशन है कुछ कमी न रह जाये. अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस तो मध्य प्रदेश में भी मनाया जायेगा जहा देश में सबसे अधिक बेटियों की इज्ज़त तार तार किया जाता है. यह तो बिहार में भी होगा जहा पिछले 8 माह में हो 800 से अधिक बलात्कार के केस पंजीकृत हो चुके है. उत्तर प्रदेश में भी होगा और राजस्थान में भी होगा अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस.
अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर साहेब भाषण इस बार न दिया जाये. बल्कि ऐसा माहोल देश में बना दिया जाये इस बार कि जब हमारी बेटी अँधेरा होने के बाद घर न आई हो और रास्ते में देर हो गई हो तो हमारे माथे पर शिकन न हो. एक ऐसा माहोल दे दिया जाये इस बार देश को कि फिर कोई बेटी को देखे तो उसको वही बेटी नज़र आये जो उसके घर में उसको भैया कहती हो. आज ऐसा माहोल चलिये बनाते है कि जितनी आज़ादी हम बेटो को दे देते है उतनी बेटियों को भी बेफिक्री के साथ दे सके. काम मुश्किल तो बहुत है साहेब मगर न मुमकिन नहीं है. कोशिश इस बार इसकी किया जाये न कि मंचो पर बड़े बड़े भाषणों से जनता का कान खुश किया जाये. आइये इस बार एक बेटी को पालते है………. ताकि देश फिर किसी दामिनी के सामने शर्मिंदा न हो. आइये आज दामिनी की आत्मा को वह शांति देते है जो शायद दिल्ली की दामिनी से लेकर हमारे शहर की दामिनी तक को आज तक नहीं नसीब हुई. आइये कुछ करते है….. आइये आज अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस मनाते है.