गाजीपुर – जारी है भाजपा में कूटनीति कि न मिल सके राधिका देवी को टिकट.

अनुपम राज.

गाजीपुर. नगर पालिका अध्यक्ष पद हेतु भाजपा के टिकट को पाने के लिये अब कुछ प्रत्याशियों और दावेदारों के द्वारा कूटनीति का भी सहारा लेने की चर्चा जोरो से शहर में चल रही है. मौजूदा घटनाक्रम में बीते चौबीस घंटे से अधिक समय से गाजीपुर के पालिका अध्यक्ष पद पर भाजपा के टिकट का दावा करने वाली राधिका देवी के टिकट को काटने के लिये एक कुटनीतिक तरीके से अफवाहों को बल दिया गया कि राधिका देवी को बसपा का टिकट मिल रहा है और वह बसपा ज्वाइन कर रही है, इस सम्बन्ध में जब हमारी बात टिकट की दावेदार राधिका देवी से हुई तो उन्होंने हमसे बात करते हुवे कहा कि हमारा पूरा परिवार ही भाजपा की झंडा बरदारी किया है. हम अपनी सांसो के साथ भाजपा का झन्डा लेकर चलते है और सांसे थमने के बाद उसी झंडे में लपेट कर दुनिया का अलविदा कहते है. ऐसे में हमारी निष्ठां पर प्रश्न उठाना एक विकृत मानसिकता का परिचय है.

ज्ञातव्य हो कि राधिका देवी गाजीपुर से भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे रोहिणी कुमार मुन्ना की विधवा है, रोहिणी कुमार मुन्ना भाजपा के टिकट से पालिका अध्यक्ष पद पर आसीन रहे है. गाजीपुर शहर की राजनीत में इस परिवार की पैठ रही है. रोहिणी सिंह मुन्ना के देहांत के उपरांत उनके राजनैतिक प्रतिद्वंदियों ने उनकी राजनैतिक वरासत को लेकर शंका जताई और इस परिवार के राजनैतिक चहलकदमी को ही हाशिये पर रख दिया था, इस बीच रोहिणी कुमार मुन्ना की पत्नी ने पालिका अध्यक्ष पद हेतु टिकट की दावेदारी प्रस्तुत कर डाली. चर्चाओ के अनुसार इस परिवार को राजनीती से दूर करने के उद्देश्य से काफी राजनैतिक प्रतिद्वंदियों ने इस टिकट को काटने का प्रयास करना शुरू कर दिया है जिसका एक उदहारण कल से चल रही यह अफवाह भी है.

क्या है आशाये राधिका देवी को टिकट मिलने पर.

रोहिणी कुमार मुन्ना समाज में एक अच्छी पकड़ रखते थे, असमय मृत्यु के कारण एक सिम्पैथिक मतों का रुझान राधिका देवी के तरफ होना स्वाभाविक है. इसके अतिरिक्त स्वयं के समाज और राजनैतिक मतों से साथ भाजपा के मतों को अगर मिला लिया जाये तो जीत के अन्करीन आना बहुत आसान है. वही यदि यह टिकट फ़ाइनल होता है तो रोहिणी कुमार मुन्ना परिवार की राजनैतिक पकड़ और मजबूत होगी एवं गाजीपुर भाजपा की राजनीती में एक नया अध्याय जुड़ जायेगा. सूत्रों की माने तो रोहिणी कुमार मुन्ना से मनोज सिन्हा के अच्छे सम्बन्ध थे.

अब देखना होगा की भाजपा की अंदरूनी राजनीति की इस टिकट पर जीत होती है अथवा टिकट हेतु पार्टी के नियमो का पालन होता है. कहा जा सकता है कि पिक्चर अभी बाकी में मेरे दोस्त………..

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