मुहम्मद बिन सलमान की नई योजनाः सऊदी अरब तोड़ेगा धर्म से अपना नाता
इस समय यह सवाल बहुत लोगों के मन में है कि क्या सऊदी अरब जहां मक्का और मदीना जैसे पवित्र स्थल हैं अपने आप को पूरी तरह धर्म से अलग कर लेना चाहता है। इसलिए कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान अपनी नई योजना के तहत लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि देश को धर्म से पूरी तरह दूर कर दें। मुहम्मद बिन सलमान अपनी योजना 2030 के तहत यह बदलाव लाते हैं जिसे पश्चिमी देशों विशेष रूप से अमरीका का समर्थन हासिल है।
वाशिंग्टन में इमारात के राजदूत युसुफ़ अलउतैबी ने भी कहा था कि सऊदी अरब, इमारात, जार्डन, मिस्र और बहरैन मध्यपूर्व को धर्म से मुक्त विकसित इलाक़ा बनाना चाहते हैं।
उतैबा का यह बयान क्षेत्र में बड़े बदलाव की ओर इशारा है। दूसरा इशारा भी इमारात से ही आया है। यह इशारा अबू जहबी की सूचना प्रसारण कंपनी के प्रमुख की ओर से आया जिन्होंने कहा कि इस्लाम आतंकवाद का कारण है और धर्म से दूरी समस्याओं का समाधान है। उन्होंने कहा कि जो भी धर्म से दूरी के विचार को पसंद नहीं करता वह जाकर दाइश में शामिल हो जाए ताकि दाइश उसे अंधेरे से प्रकाश में पहुंचा दे, धर्म से मुक्त वातावरण तर्कशील लोगों की शरण है।
उतैबा और उनके सहयोगी जो कुछ कह रहे हैं सऊदी अरब में मुहम्मद बिन सलमान वही सब कुछ करते जा रहे हैं। सऊदी अरब में बड़े मुफ़्तियों की गिरफ़तारियां हुई हैं। वैसे यह बात अपनी जगह पर सच्चाई है कि सऊदी अरब की वहाबी विचारधारा सारी दुनिया में आतंकी संगठनों की मूल विचारधारा है लेकिन यह भी सही है कि मुहम्मद बिन सलमान अमरीका के इशारा पर धर्म पर ही वार करना चाहते हैं और साथ ही धार्मिक संस्थाओं को अपनी योजनाओं व कार्यक्रमों के समर्थन पर मजबूर करके अपनी नीतियों के लिए धार्मिक स्वीकृति का रास्ता भी साफ़ करना चाहते हैं।
इसी नए वातावरण में जब सऊदी अरब ने अपना नेशनल फ़ेस्टिवल मनाया तो रियाज़ के कल्चरल सेंटर्ज़ में विदेशी नृतकियों व गायिकाओं को बुलाया गया और पश्चिमी देशों के स्टाइल में पार्टियां की गईं।
इसके बाद मुहम्मद बिन सलमान ने अमरीकी समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्ज़ को साक्षात्कर देते हुए कहा कि मैं यह नहीं कहता कि हम इस्लाम की नई व्याख्या करना चाहते हैं बल्कि हम चाहते हैं कि इस्लाम को उसके असली रूप में वापस ले जाएं।
रोचक बात यह है कि मुहम्मद बिन सलमान की ओर से लाए जा रहे लगातार बदलाव पर सऊदी अरब का कट्टरपंथी वहाबी धड़ा सड़कों पर नहीं उतर रहा है। इसका मतलब यह है कि राजकुमारों और मंत्रियों को जेल में बंद करके मुहम्मद बिन सलमान ने धार्मिक संस्थाओं को भी कड़ा संदेश दे दिया है कि यदि उनका विरोध करने की कोशिश की गई तो वहाबी मुफ़्तियों की एश्वर्यपूर्ण ज़िदगी क़ैदी की ज़िंदगी में बदल जाएगी।
मुहम्मद बिन सलमान की योजनाओं और सुधार कार्यक्रमों में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यही है कि वह चरमपंथी वहाबी संस्थाओं पर रोक लगाने और उनका विरोध करने के नाम पर धर्म और धार्मिक ज़िंदगी पर ही हमला कर देना चाहते हैं जबकि ज़रूरत है इस बात की कि कट्टरपंथ पर अंकुश लगाया जाए। टीकाकार यह मानते हैं कि मुहम्मद बिन सलमान को सऊदी अरब की सत्ता के शिखर पर पहुंचाने में सहयोग का आश्वासन ट्रम्प प्रशासन ने इसी वादे पर दिया है कि सऊदी अरब के भीतर धार्मिक, शैक्षिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में उसी तरह बदलाव किया जाएगा जिस तरह अमरीका चाहेगा।