बहराइच-नानपारा रोड, लगता है मंत्री जी केवल अखबारों की सुर्खिया बटोरना चाहती थी.

सुदेश कुमार

बहराइच. बहराइच को नानपारा से जोड़ने वाली एक मात्र सड़क का बुरे हाल समाचार तो हमने कई बार दिखाया आपको, झींगहा घाट से 1 कि.मी. दूर तक बदहाल सड़क और बेपरवाह सम्बंधित अधिकारियो के सम्बन्ध में समाचार भी दिखाये. सरकारी अमला कितना लापरवाह और बेपरवाह है इसको भी बताया गया. पूरी एक किलो मीटर की सडको को आपको खड्डों के बीच तलाशना पड़ेगा.

समय बदला सबने सोचा शायद इस सड़को का दिन बहुर आया है और इसके निर्माण के लिये मंत्री अनुपमा जायसवाल ने संज्ञान लिया और सड़क निर्माण की बात किया. आनन फानन में मौके पर निर्माण सामग्री भी गिरने लगी. गिद्ध दृष्टि लगाये कलम पकडे कुछ लोगो ने तो अखबार से लेकर सोशल मीडिया तक पर मंत्री जी की जय कहना शुरू कर दिया, कुछ ऐसे भी निकले जिन्होंने इसका असली ताज अपने सर पर रखना शुरू कर दिया और खबर का असर भी बता दिया जनता को कि देख लो हमारी खबर पर ही सड़क बन रही है हम ही असली है बकिया सब मिल कर मेरे सर पर इसका ताज रख दो. मंत्री जी की जयकारा हर जगह होने लगी, दो दिन काम को दिखाने के खातिर मौके पर जीसीबी भी आई और लोगो ने देखा कि बढ़िया काम होगा अब. यही नहीं कुछ ने तो अधिकारियो के नज़र में अच्छे कहलाने के खातिर उन अधिकारियो तक की जय कह डाली और अपना नंबर अधिकारियो के नज़र में ऊँचा कर लिया.

 मगर शायद मंत्री जी और अधिकारी जी इस जयकारे से इतना खुश हो गये कि उनको जनता की फिक्र होने लगी, उन्होंने सोचा होगा कि जब काम शुरू होने का नाम सुनकर इतनी जयकारा हो रहा है तो कही काम पूरा करवाते करवाते जनता और ये कलमकार जयकारा कहते कहते अपनी आवाज़ न बैठा ले. फिक्र तो कलम की भी किया होगा कि जयकारा कहते हुवे और साथ में लिखते हुवे कलमकारों की कलम में स्याही न ख़त्म हो जाये इसका ख्याल करते हुवे काम ही बंद करवा दिया.

अब  भाई आप लोग खुद समझिये मंत्री जी को और अधिकारियो को कितनी आम जनता की फिक्र है, लोग भले कुछ भी कहे मगर अगर थोड़ी बहुत घटना दुर्घटना इस सड़क पर होती है तो अब वह कलमकार अपना मुह कैसे खोलेगे जो कल तक जयकारा कह रहे थे. सब राजनैतिक पेच है या फिर नौकरशाही का अपना दस्तूर मगर साहब हम क्या कह सकते है. मंत्री जी और अधिकारी जी है. साथ में कलमकारी है जयकारे वाली सब बुरा मान सकते है. हम बस इतना कह सकते है कि साहेब काम पूरा करवा दे हम अडवांस में जयकारा कर देंगे. इस प्रकरण में अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है और उन कलमकारों से हम सवाल कैसे पूछ सकते है जो खबर का असर और वगैरह वगैरह दिखा कर अपना नंबर उंचा कर रहे थे. हम भाई बस खामोश देखते रहेगे.

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