वाराणसी में अब होगा आनलाईन मानचित्र स्वीकृत

शेख जव्वाद/ अहमद शेख 

वाराणसी.  आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा प्रदेश के सभी प्राधिकरणों में, प्राधिकरण की योजनाओं एवं प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत ले-आउट के आवासीय भूखण्डों के समस्त मानचित्रों को आनलाईन स्वीकृति का साफ्टवेयर विकसित किया गया है, जिसका शुभारम्भ दिनांक 09.12.2017 को आयुक्त सभागार वाराणसी में राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी द्वारा आयुक्त वाराणसी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में किया गया। कार्यक्रम में उपाध्यक्ष, सचिव के अतिरिक्त वाराणसी नगर एवं प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों व कर्मचारियों के अतिरिक्त नगर के गणमान्य नागरिकों ने प्रतिभाग किया।
उत्तर प्रदेश में आनलाईन मानचित्र स्वीकृति की इस नवीन व्यवस्था के तहत ही मानचित्र स्वीकृति हेतु प्राधिकरण में जमा किए जाएंगे मैनुअल व्यवस्था को अतिक्रमित कर दिया गया है।   उत्तर प्रदेश में आनलाईन मानचित्र स्वीकृति की यह व्यवस्था सभी 33 विकास प्राधिकरणों एवं आवास विकास परिषद में प्रभावी होगी।  इस व्यवस्था के प्रभावी होने से भवन स्वामी आनलाईन स्वीकृति का लाभ ले सकेगें।  उत्तर प्रदेश शासन द्वारा शीघ्र ही समस्त भवन मानचित्रों को आनलाईन स्वीकृति की कार्यवाही किये जाने पर कार्य किया जा रहा है तथा शीघ्र इसे प्रभावी किया जायेगा।

जाने क्या है  https://www.upobps.in की विशेषता

1. समस्त प्राधिकरणों की योजनाओं के आवासीय भूखण्ड तथा प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत ले-आउट्स के आवासीय भूखण्डों के समस्त मानचित्र वेबसाईट https://www.upobps.in पर जमा एवं स्वीकृत किये जायेगें।
2. आवेदक अपने से सम्बन्धित नगर/विकास प्राधिकरण को इन्टरेक्टिव मैप में चयनित कर सकता है।
3. यदि मानचित्र में कोई कमी है, तो अधिकतम दो कार्य दिवसो में E-mail के माध्यम से अवगत करा दिया जायेगा अन्यथा मानचित्र स्वतः स्वीकृत हो जायेगा तथा आवेदक को E-Mail पर भी प्रेषित कर दिया जायेगा।
4. आवेदक अपने आवेदन पर कार्यवाही को वेबसाईट पर ट्रैक कर सकता है।
5. स्वतः फीस केलकुलेटर का प्राविधान किया गया है।
6. मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया में इलेक्ट्रोनिक वेरिफिकेशन कोड का उपयोग किया गया है।
7. ई-पेमेन्ट गेट-वे से आनलाईन भुगतान की व्यवस्था की गयी है।
8. प्रत्येक स्तर पर आवेदक को SMS द्वारा सूचना प्रेषित करने की व्यवस्था है।
9. प्रत्येक स्तर पर उत्तरदायित्व का निर्धारण पारदर्शिता को और प्रभावी बनाने के लिए किया गया है।
10. स्वीकृत किये जाने वाले मानचित्र की वैधानिकता को सुरक्षित करने के लिए QR-Code का प्राविधान किया गया है।
11. साफ्टवेयर में एप्लीकेशन, कालोनी एवं अन्य आवश्यक विवरण के लिए सर्चटूल का प्राविधान भी किया गया है।
12. साफ्टवेयर के कार्यरूप में आने से मानचित्रों से सम्बन्धित समस्त सूचनाएँ व विवरण एकीकृत रूप में प्राधिकरण स्तर व प्रदेश स्तर पर सदैव उपलब्ध रहेगी।

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