अब पता चला, जनरल सुलैमानी ने सीआईए प्रमुख का पत्र क्यों नहीं पढ़ा?

शेख जव्वाद

सारल्लाह छावनी के आईआरजीसी के कमान्डर ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि जनरल सुलैमानी ने सीआईए प्रमुख के पत्र को हाथ क्यों नहीं लगाया, कहा कि जनरल सुलैमानी ने वरिष्ठ नेता के निर्देश और आदेशानुसार दुनिया के सबसे बड़े शैतान के साथ वहीं बर्ताव किया जो इमाम ख़ुमैनी का दृष्टिकोण था।

कमान्डर इस्माईल कौसरी ने जामे जम समाचार पत्र से बात करते हुए इस प्रश्न के उत्तर में कि जनरल सुलैमानी ने सीआईए प्रमुख के हालिया पत्र को क्यों नहीं लिया या खोलकर क्यों नहीं पढ़ा? कहा कि जनरल सुलैमानी ने इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की विचारधारा का अनुसरण करते हुए यह काम किया, उनको पता था कि इमाम ख़ुमैनी अमरीका को सबसे बड़ा शैतान मानते हैं और उनको पता था कि शैतानी चालें कभी बदलती नहीं हैं, इसीलिए उन्होंने सीआईए प्रमुख के पत्र को हाथ नहीं लगाया और न पढ़ा क्यों उनको पता था कि अमरीका पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता।

आईआरजीसी के कमान्डर ने कहा कि इस्लामी क्रांति की सफलता से लेकर अब तक अमरीका ने कई बार अपने वादों का उल्लंघन किया है। उदाहरण स्वरूप अमरीका ने परमाणु समझौते में अपने वचनों पर अमल नहीं किया जबकि यह अंतर्राष्ट्रीय समझौता है और इसमें दुनिया के छह देश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जनरल सुलैमानी ने सीआईए प्रमुख के पत्र को हाथ नहीं लगाया क्योंकि उन्हें परमाणु समझौते का अनुभव है और क्षेत्र में अमरीका की कई वर्षों की उपस्थिति और उनके उल्लंघनों को देखकर उन्होंने फ़ैसल किया कि वह सीआईए प्रमुख के पत्र को हाथ नहीं लगाएगे।

इस्माईल कौसरी ने कहा कि जनरल सुलैमानी ने सीआईए प्रमुख के पत्र के पैकेट को हाथ तक ही नहीं लगाया और उन्होंने इसके माध्यम से अमरीका और सीआईए को एक मज़बूत संदेश दिया कि जब तक अमरीका पूर्ण रूप से अपनी वर्चस्ववादी प्रवृत्ति नहीं बदलता, तब तक उससे कोई भी बातचीत नहीं होगी, इसका यह अर्थ नहीं है कि वाइट हाऊस को हमारा अनुसरण करना चाहिए किन्तु अपेक्षा है कि अमरीकी अधिकारी इस परिणाम पर पहुंचेगे कि उनको क्षेत्र और  दुनिया के किसी भी देश पर वर्चस्व का अधिकार नहीं है क्योंकि हमने क्रांति की ताकि अमरीका की इस ज़ोरज़बरदस्ती के सामने डट सकें।

इस्माईल कौसरी ने कहा कि जनरन सुलैमानी ने सीआईए प्रमुख के पत्र को हाथ न लगाकर यह दिखा दिया कि उनके सारे काम ईश्वर की प्रशंसा और उसको राज़ी करने के लिए ही हैं और अमरीकियों को यह समझ लेना चाहिए कि इस देश के सारे लोग पहाड़ की भांति मज़बूत और फ़ौलाद की तरह उनके इरादे मज़बूत हैं और यदि अमरीका ने कोई मूर्खता की तो उसे एेसा पाठ सिखाएंगे जिसको वह हमेशा याद रखेगा।

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