अमरीकी दूतावास का क़ुद्स स्थानांतरण अमरीका के लिए राजनैतिक ख़ुदकुशी हो सकती है
इस्लामी सहयोग संगठन ने अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प को क़ुद्स को ज़ायोनी शासन की राजधानी के रूप में मान्यता देने के अंजाम की ओर से चेतानवी दी है। सोमवार को इस्लामी सहयोग संगठन ने अतिग्रहित फ़िलिस्तीन में अमरीकी दूतावास के तेल अविव से क़ुद्स स्थानांतरण को खुले अतिक्रमण की संज्ञा देते हुए कहा कि संगठन के सभी सदस्य देश उन सभी देशों से अपने संबंध ख़त्म कर लें जो अपना दूतावास क़ुद्स स्थानांतरित करे।
अमरीकी दूतावास को क़ुद्स स्थानांतरित करने का बिल अमरीकी कॉन्ग्रेस में 1995 में पारित हुआ लेकिन इस दौरान अमरीकी दूतावास को क़ुद्स स्थानांतरित करने की स्थिति में विश्व स्तर पर होने वाली प्रतिक्रियाओं के डर और अमरीका को पहुंचने वाले कूटनैतिक नुक़सान के मद्देनज़र, हर छह महीने में बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्लयू बुश और ओबामा सरकार दूतावास को स्थानांतरित करने के विषय को आगे बढ़ाती रही।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव बहुमत से पारित हुआ जिसमें इस्राईल को क़ुद्स का अतिग्रहणकारी कहा गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, इस्राईल का क़ुद्स से कोई संबंध नहीं है और ज़ायोनी शासन का इस शहर पर किसी भी तरह का क़ानून थोपने के लिए उठने वाला क़दम ग़ैर क़ानूनी है।
क़ुद्स के संबंध में फ़िलिस्तीनियों, इस्लामी जगत और विश्व जनमत की संवेदनशीलता के मद्देनज़र मौजूदा ट्रम्प सरकार का क़ुद्स में इस्राईल की वर्चस्ववादी नीतियों का समर्थन करने के लिए उठने वाला क़दम, अमरीका के लिए राजनैतिक, कूटनैतिक व आर्थिक दृष्टि से बहुत नुक़सानदेह साबित होगा। ऐसा क़दम अमरीका के लिए राजनैतिक ख़ुदकुशी के समान होगा और ट्रम्प के लिए चुनौतियां बढ़ा देगा जो पहले ही आंतरिक व विदेश स्तर पर अपनी नीतियों के कारण व्यापक आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं।