रजाई बिना रतिया कईसे कटी साहेब ?
इलाहाबाद : सरकारी अस्पतालों में तीमारदारों के लिए बनाए गए रैन बसेरों की स्थिति बदहाल है। ऐसे में भीषण ठंड में तीमारदारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां सुविधाओं के नाम पर महज खानापूर्ति है। कुछ अस्पतालों में बने रैन बसेरों में तो ताले लटक रहे हैं।
स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में तीमारदारों के लिए रैन बसेरा बनाया गया है। यहां रैन बसेरे में सुविधाओं के नाम पर महज छह तख्ते रखे गए हैं, जिस पर कुछ फटे पुराने गद्दे हैं। ठंड से बचने के लिए यहां न तो कंबल और न ही रजाई, जबकि इसी व्यवस्था के लिए लोगों से 35 रुपये लिए जाते हैं। मनोरंजन के लिए एक टीवी लगाया गया है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इसमें न तो एंटिना है न केबल। यह महज शोपीस के लिए यहां रखा गया है। शुद्ध पानी के लिए एक इंडिया मार्का हैंडपंप तो लगा है, लेकिन इसमें से आखिरी बार पानी कब निकला था यह नहीं पता। यहां अपने पिता का उपचार कराने आए भदोही निवासी रामेश्वर कहते हैं कि रात में हम लोगों को काफी परेशानी होती है।
वहीं मोतीलाल नेहरू अस्पताल (काल्विन) में स्थित रैन बसेरे में तो हमेशा ताला ही बंद रहता है। इसके अंदर कुछ तख्ते व गद्दे पड़े हैं, लेकिन इसका लाभ वहां आने वाले तीमारदारों को नहीें मिल रहा। तीमारदार दिन में तो बाहर काम चला लेते हैं, लेकिन रात में उन्हें काफी परेशानी होती है।
वहीं दूसरी तरफ तेजबहादुर सप्रू अस्पताल (बेली) का रैन बसेरा तो दूर से चमक रहा है लेकिन अंदर उसमें कुछ नहीं है। रात होते ही लोग यहां चद्दर या चटाई बिछाकर जमीन पर ही सो जाते हैं। यदि रैन बसेरों में ठंड से बचने के लिए उपाय किए जाएं तो दूर-दराज से आने वाले तीमारदारों को काफी राहत मिलेगी। कोरांव निवासी ज्ञानचंद्र ने बताया कि यहां रजाई या कंबल की व्यवस्था होती तो राहत मिलती।