सुमत्कर्षा’ से निकली शिखर चूमने की चाह

कनिष्क गुप्ता

इलाहाबाद । श्रीमद्भागवत गीता में समाहित नारियों की सप्त शक्तियों को चरितार्थ करता चार दिवसीय समुत्कर्षा शिविर मंगलवार को संपन्न हो गया। पंद्रह विभिन्न नगरों की पंद्रह हजार छात्राओं ने अपने अपने शिविरों एवं केंद्रीय मंचों पर आयोजित कार्यक्रमों में नारीशक्ति के विभिन्न रूपों को पहचाना। छात्राओं को नारी के विभिन्न रूप क्षमा, धृति, मेधा, स्मृति, वाक्, श्री और कीर्ति के उद्देश्य से परिचित कराया गया। शीर्ष अधिकारियों से सीधे संवाद में छात्राओं ने अपनी जिज्ञासा शांत की। चेहरे पर प्रसन्नता और जीवन में कुछ कर दिखाने की ललक और नई प्रेरणा के साथ सभी अपने अपने घरों को विदा हुई।

भारतीय संस्कृति का आधार लेकर सफलता का शिखर चूमने के उद्देश्य से पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित विद्या भारती के 12 सौ विद्यालयों की पंद्रह हजार छात्राओं ने ‘समुत्कर्षा’ शिविर में ज्ञान और प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिविर में राष्ट्रवाद के उद्देश्य के साथ सभी धर्माें की लड़कियां एक साथ रहीं। साथ खाना खाया, साथ प्रार्थना हुई, साथ वंदना की। नए मित्र बने और जीवन बिताने का उद्देश्य पर घंटो परिचर्चा हुई। स्वयं सेवकों और पूर्व छात्राओं ने अपना सहयोग दिया। सती अनुसुईया नगर की तृप्ति, सोनिया, शिवांगी और प्रार्थना ने कहा कि यहां पर हमें दिया गया दायित्व जीवन उन्नति करने में सहायक होगा।

यहां पर जुटी बालिकाओं को संवाद और प्रशिक्षण के दौरान नैसर्गिक गुणों व शक्तियों को करीब से समझने का ज्ञान मिला। प्रधानाचार्या मीना श्रीवास्तव का कहना है कि सभी शिविरों में जुटी छात्राओं का उत्साह सिर चढ़कर बोल रहा है। बाल वर्ग, किशोर वर्ग एव तरूण वर्ग के अंतर्गत छात्राओं ने विभिन्न बैठकों में भाग लिया। विभिन्न शिविरों कीं बैठकों में विद्या भारती के शीर्ष अधिकारियों ने छात्राओं को बेहतर जीवन के गुण बताए। पढ़कर छात्राएं डाक्टर, इंजीनियर और प्रोफेशनल तो बने लेकिन उसके पहले सफल गृहणी भी बने। वीरांगना झलकारी बाई नगर में प्रदेश निरीक्षक राजेंद्र बाबू ने शिविर की परिकल्पना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली नारी की सामाजिक स्थिति में अभी काफी परिवर्तन होने हैं। घर बाहर की दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं को अपनी स्थिति में परिवर्तन के लिए स्वयं पहल करनी होगी। पार्वती नगर में प्रदेश निरीक्षक राज बहादुर ने छात्राओं से कहा कि युगदृष्टा, युगसृष्टा नारियों के चरित्र हमारी सास्कृतिक धरोहर हैं।

हम उनके चरित्र के मूल तत्वों का समावेश अपनी जिंदगी मे कर सकते हैं। इसी प्रकार जानकी नगर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश निरीक्षक बांके बिहारी पांडेय ने कहा तमाम महिलाएं नौकरी पेशा होते हुए भी घरेलू दायित्वों का निर्वाह निष्ठापूर्वक करती है। विद्या भारती का यह कार्यक्रम छात्राओं और भावी माताओं को सुशिक्षित करने की पहल है। अनुसुईया नगर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश निरीक्षक रमाशंकर ने कहा हमारी संस्कृति कभी रूढ़ीवादी नहीं रही। भारत उदयकाल से ही अपने स्वतंत्र चिंतन के लिए विख्यात रहा है। महिलाएं हर क्षेत्र में अपना कौशल दिखाएं इसके लिए कोशिश किया जाना चाहिए। इसी प्रकार महामाया नगर में प्रदेश निरीक्षक राजकुमार और क्षेत्रीय अधिकारी विजय उपाध्याय ने संबोधित किया।

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