हाईकोर्ट की दो टूक: मानव श्रृंखला में अभिभावकों की सहमति के बगैर नहीं जायेंगे बच्चे
सनी भगत.
राज्य में दहेज प्रथा और बाल विवाह के विरुद्ध जनता में जागरूकता अभियान के लिए मानव श्रृंखला बनाने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को झटका दिया है. इस मामले में मंगलवार को कोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि इस कार्यक्रम में बगैर अभिभावकों की सहमति के बच्चे भाग नही लेंगे. शिव प्रकाश राय की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने सुनवाई की.
राज्य सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि स्वेच्छा से ही बच्चे मानव श्रृंखला में भाग लेंगे, साथ ही इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने भी यह आदेश दिया कि भाग नहीं लेने वाले बच्चों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाये. इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह में ब्यौरा देने का निर्देश दिया कि अगर किसी को कोई शिकायत होगी, तो वह हाईकोर्ट के समक्ष पेश कर सकता है.
मालूम हो कि दहेज प्रथा और बालविवाह के विरुद्ध जागरुकता अभियान के तहत 21 जनवरी को राज्य सरकार का मानव श्रृंखला बनाने का कार्यक्रम है. इस मानव श्रृंखला में स्कूली बच्चों को भी शामिल किया जाना है. सरकार के इस निर्णय इसे चुनौती देते हुए पटना हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की गई थी.
इससे पहले शराबबंदी को लेकर बिहार में आयोजित मानव श्रृंखला में स्कूली बच्चों को जबरन शामिल कराने पर भी पटना हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी. इस मुद्दे पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बिहार के डीजीपी पी के ठाकुर और मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह को भी तलब किया था.