पति व सौतन का था खौफ तो वह घर से ही नहीं ज़िन्दगी से भाग गई.

गोपाल जी,

सौतन को चौखट पर देख मानसिक संतुलन खो बैठी एक महिला ने आखिरकार अपनी जान दे दी. पति की बेवफाई से विचलित होकर पहले घर छोड़ा, उसके बाद भागलपुर से भटकती बेतिया पहुंची. वहां रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध स्थिति में भटकते हुए पुलिस ने पकड़ लिया. पुलिस ने महिला को बेतिया महिला हेल्फलाइन में पहुंचाया. वहां से उसे मोतिहारी के रघुनाथपुर स्थित महिला अल्पावास गृह भेजा गया, जहां शुक्रवार की रात उसने गले में फंदा लगा आत्महत्या कर ली. सुबह छत के सहारे फंदे से लटकता उसका शव दिखा, तो अल्पावास गृह के जिम्मेवार अधिकारियों के होश उड़ गये.

आनन-फानन में घटना की सूचना संबंधित विभाग के अधिकारी व थाने को दी गयी. डीपीओ राजेंद्र कुमार दास, डीपीएम बबलू कुमार व रघुनाथपुर ओपी प्रभारी बीके सिंह दलबल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे. कानूनी प्रक्रिया पूरी कर शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा. महिला जब अल्पावास गृह लायी गयी थी, तो उसने अपना नाम फरहद खातून, पति खालिक शेख व घर भागलपुर जिला के तारपुर बताया था. वैसे अल्पावास गृह की पुनर्वास पदाधिकारी बबिता कुमारी का कहना है कि महिला अपने घर का पता गलत बतायी थी, उसके बताये पते पर छानबीन की गयी, तो गलत निकला था. उन्होंने बताया कि शुक्रवार की शाम ड्यूटी से अपने घर चल गयी. रात की ड्यूटी आरटीओ आशा सिंह की थी. सुबह में उसने फोन किया कि फरहद ने फंदा लगा आत्महत्या कर ली.

इधर, रघुनाथपुर ओपी प्रभारी बीके सिंह ने बताया कि आरटीओ आशा सिंह के लिखित आवेदन पर यूडी केस दर्ज किया गया है. शव को पोस्टमार्टम करा अल्पावास गृह के अधिकारियों को सौंप दिया गया है.

जुल्म सहती रही, लेकिन सौतन को नहीं कर सकी बर्दास्त

महिला अल्पावास गृह में फरहद की काउंसेलिंग की गयी, तो उसने बताया कि उसका पति उसे काफी प्रताड़ित करता था. उसके तमाम जुल्मों को सहती रही, लेकिन शादी कर जब दूसरी औरत को घर लाया तो सहन नहीं हो सका. जीवन का सहारा एक बच्ची को भी उसने छीन लिया. खुद को अकेला पाकर उसने घर छोड़ दिया.

ससुराल जाने के नाम पर डर जाती थी फरदह

बबिता कुमारी ने बताया कि काउंसेलिंग के दौरान फरहद से उसके ससुराल का पता पूछ पति के पास पहुंचाने की बात कही गयी, तो वह काफी डर गयी. कहने लगी कि हमको यहीं पर कोई काम दिलवा दीजिए. ससुराल नहीं जाना चाहती. वहां पति फिर हमारे साथ मारपीट करेगा.

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