बिहार: प्राइवेट स्कूलों की कसेगी नकेल, सरकार बना रही कानून

गोपाल जी,

बिहार में अब निजी विद्यालयों की मनमानी नहीं चलेगी। उनकी मनमानी पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार कानून बना रही है। प्रस्तावित कानून को अधिनियम की शक्ल में बिहार विधानमंडल के आगामी सत्र में लाने की तैयारी सरकार कर रही है। विधानमंडल से पारित होने के बाद राज्यपाल सत्य पाल मलिक की मुहर लगने पर इसे लागू किया जाएगा।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित विधेयक का ड्राफ्ट शिक्षा विभाग ने तैयार कर लिया है। सहमति के लिए प्रस्ताव विधि विभाग भेजा जा चुका है। उसकी स्वीकृति के बाद शिक्षा विभाग मंत्रिमंडल की स्वीकृति लेकर प्रस्तावित विधेयक को विधानमंडल में पेश करेगा।

प्रस्तावित विधेयक का ड्राफ्ट शिक्षा विभाग द्वारा बनायी गयी कमेटी की रिपोर्ट और उसकी अनुशंसाओं के आधार पर तैयार हुआ है। गौरतलब है कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने निजी स्कूलों के संचालन को नियंत्रित करने के लिए अपर सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। इस कमेटी के अधिकारियों ने कई राज्यों में प्राइवेट स्कूलों के संचालन और उन पर नियंत्रण का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट तथा अनुशंसाएं शिक्षा विभाग को सौंपी है।

शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के प्रावधानों के तहत निजी विद्यालयों के लिए प्रस्तावित विधेयक लाने की तैयारी है। हालांकि आरटीई का दायरा फिलहाल 8वीं कक्षा तक ही है, जबकि निजी विद्यालयों के लिए तैयार हो रहा कानून 10वीं तक संचालित होने वाले प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू होगा।

नए कानून से लगेगा अंकुश

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के कई तरह के वाकयात जब-तब सामने आते हैं। वर्तमान में निजी विद्यालय शिक्षण, नामांकन समेत विभिन्न मदों में मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। हर साल शुल्क में वृद्धि में भी उनकी मनमानी होती है और इसपर अंकुश का कोई तरीका नहीं है। बस किराए का निर्धारण भी स्कूल ही करते हैं। यहां तक कि दुर्गापूजा, बड़ा दिन और गर्मी की छुट्टियों में स्कूल बंद होने के बावजूद अभिभावकों से बस किराया वसूला जाता है। किताब-कापियां, स्कूल बैग, ड्रेस, जूते-मोजे तक स्कूल द्वारा तय एजेंसी से लेने की मजबूरी है, वह भी अनाप-शनाप दर पर। नए कानून से इन सब पर अंकुश लगेगा।

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