वाराणसी – दिन के उजाले में लगी सील, रात के अँधेरे में कौन तोड़ गया ?

, जाने कौन है सुरंग वाले कटरे का असली मालिक

तारिक आज़मी.

वाराणसी. कल की सुबह दालमंडी क्षेत्र में एक क्षत्र साम्राज्य स्थापित कर चुके भूमाफियाओ पर थोडा भारी रही. पहले देर रात प्रशासनिक अमले ने पुरे क्षेत्र का भ्रमण किया, फिर कटरा बंशीधर को सील कर दिया गया. FHL में हुआ एक तो निर्माण उस पर भवन के नीचे एक पूरी मार्किट बनी थी. इसको बेसमेंट से कुछ ऊपर उठ कर तहखाना कहा जा सकता है जो सुरंग के माफिक रहा. दिन भर क्षेत्र में अधिकारियो का चक्रमण रहा. रात को क्षेत्राधिकारी स्नेहा तिवारी के साथ नगर मजिस्ट्रेट और दोनों थानों के प्रभारी ने पुलिस बल के साथ क्षेत्र का दौरा किया. अतिक्रमणकारियों को खुद के हाथो से देर रात अपने अतिक्रमण को तोड़ते देखा गया.

इन सबके बीच जो सबसे बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है वह यह है कि दोपहर के उजाले में सील हुवे भवन के सील को देर रात गली के तरफ से तोडा गया, सूत्र बताते है कि इसको तोड़ कर कटरे के मालिको ने अन्दर रखे कुछ सामानों को गली के रास्ते बाहर निकाल कर मौके से हटवाया है. सच जो भी हो मगर तस्वीर गवाह है कि किस प्रकार से भूमाफिया इस क्षेत्र पर अपना साम्राज्य स्थापित किये हुवे है और इनको शासन प्रशासन का कोई खौफ नहीं है.

कटरा बंशीधर  

बंशीधर कटरे के नाम से मशहूर यह इमारत काफी पुरानी थी. बताया जाता है कि इमारत बौरे समाज के कुछ लोगो की थी जिसमे आपसी बटवारे और किरायदारो का भी विवाद था, पुरे भवन को क्षेत्र के नव धनाढ्य कुछ लोगो ने मिलकर ख़रीदा और इसके ऊपर निर्माण कार्य प्रारम्भ करवा दिया. भवन दो हिस्सों में बिकने के कारण एक हिस्सा बनकर तैयार है और दुसरे का निर्माण कार्य चालु है. अचानक इस भवन का संज्ञान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को आया और उच्चाधिकारियों ने इसके ऊपर ध्यान दिया. देर रात हुवे दौरे में भवन की असलियत खुल कर सामने आई और भवन के नीचे एक पूरी मार्किट तैयार मिली. जिसको VDA ने सील कर दिया और कार्यवाही करते हुवे इस क्षेत्र से सम्बंधित अपने २ कर्मचारियों को निलंबित भी कर दिया.

कौन है भवन का मालिक – 

कल दिन भर प्रशासन इस कवायद में लगा था कि इस भवन का असली मालिक कौन है कुछ नाम निकल कर सामने भी आये है जिस पर कार्यवाही किया जा रहा है. हमारी टीम ने जब इस भवन के मालिको के सम्बन्ध में क्षेत्र में जानकारी हासिल किया तो जानकारी काफी दिलचस्प थी. क्षेत्र के नवधनाढ्यो ने मिलकर इस भवन को खरीदने और फिर उसके निर्माण का कार्य किया है. आइये जानते है कौन कौन शामिल है इसमें.

भवन के पहले मालिक को समाज बाबु आइडिया नाम से जानता है. बाबू आइडिया जैसा नाम वैसा काम के तौर पर मशहूर है. इनके पास लोग सलाह लेने को जाते है कि किस प्रकार नियमो को ताख पर रख कर कोई कार्य करवा लिया जाये. कहने को इनकी स्थानीय प्रशासन में बढ़िया पकड़ है. क्षेत्र के एक दबंग की भूमिका में इनका नाम आता है. दुसरे मालिक के तौर पर नाम आ रहा है

थुन्नी भाई. लोग इनको भाई नाम से अधिक पुकारते है चर्चाओ के अनुसार क्षेत्र में अपना दबदबा कायम रखते है थुन्नी भाई.

तीसरा नाम है लईक – इनको लोग लईक भाई के नाम से पुकारते है और क्षेत्र के नव धनाढ्यो में इनकी गिनती होती है.  

रईस पहलवान और शाहिद बिल्डर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दस रुपयों के स्टाम्प पेपर पर हुवे एक अग्रीमेंट के बल पर ये दोनों लोगो ने इस भवन के निर्माण का ठेका ले रखा था, शाहिद बिल्डर पहले से ही भवन निर्माण का ठेका लेते रहे है और पहलवान अभी नया काम शुरू किये है. इस अग्रीमेंट जिसकी हम यहाँ चर्चा कर रहे है के आधार पर यह दोनों भी भवन में मालिकाना हक़ रखते है. जबकि एक सामान्य स्टाम्प पेपर पर सिर्फ आपसी सहमती बनी हुई है जिसकी नोटरी तक नहीं है.

सूत्रों से प्राप्त इन जानकारियों में जो सबसे बड़ा नाम जो निकल कर सामने आया वह है जहागीर बिल्टी वाले. इनका मुख्य व्यवसाय रेलवे से बिल्टी छुड़वाना है. सेल टेक्स विभाग में गहरी पैठ के कारण इनका यह कारोबार काफी फल फुल चूका है इस कारोबार के बल पर क्षेत्र और आस पास के क्षेत्रो के लोग अपनी बिल्टी इनके माध्यम से ही छुड्वाते है. सेल टेक्स के खेल के बाद अच्छी बचत एक बिल्टी के छुड़ाने पर होने लगी है. सूत्र बताते है कि रेल के बिल्टी माफिया के तौर पर मशहूर कानपुर के पप्पू मीठा से इनके गहरे संपर्क है 

 

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