दालमंडी अवैध निर्माण प्रकरण – पुलिस प्रशासन चढ़ाना चाह रही है पत्रकारों की बलि.
तारिक आज़मी.
वाराणसी. दालमंडी में अवैध निर्माण प्रकरण में आज स्थिति एकदम विपरीत हो गई और पुलिस प्रशासन ने उस प्रकरण में यु टर्न लेते हुवे मीडिया कर्मियों के ऊपर दोषारोपण शुरू कर दिया है. ज्ञातव्य हो कि कई हज़ार वर्ग फिट में हो रहे अवैध निर्माण में नीचे गहराई में बेसमेंट खोद कर दो तरफ उसका रास्ता निकाला गया था. जिसका एक छोर दालमंडी के मुसाफिर खाने के सामने है तो दूसरा बनिया वाली गली में निकल रहा था. उच्चाधिकारियों के दौरे में यह निर्माण पकड़ में आया और इसको सील कर दिया गया. येलो ज़ोन के काफी करीब हुवे इस निर्माण में जैसा पहले दिन बयान आया उसके अनुसार भवन मालिको पर विकास प्राधिकरण ने मुकदमा लिखवाया वही पुलिस ने भी एक किता मुकदमा दर्ज किया था.
इसके उपरांत दर्ज 7 लोगो के ऊपर मुक़दमे में 2 की गिरफ़्तारी भी हो गई और उनको अदालत में पुलिस ने कल बृहस्पतिवार को ही पेश कर दिया. इस दौरान लगभग सभी मीडिया हाउस ने खबर अपने अपने प्रकार से चलाया था. कल बृहस्पतिवार से ही अचानक क्षेत्र के कुछ लोगो द्वारा प्रकरण में जनता के दिमाग में मीडिया के खिलाफ ज़हर घोलना शुरू हो गया था. शाम होते होते यह गुस्सा निकल कर बाहर आया और क्षेत्र में कवरेज कर रहे कुछ पत्रकारों के साथ क्षेत्र के कतिपय लोगो द्वारा अभद्रता और गाली गलौज की सुचना प्राप्त हुई. इसी दौरान सूत्रों ने बताया कि क्षेत्र के कतिपय लोगो द्वारा प्लान किया गया है कि मीडिया कर्मियों को अन्दर दालमंडी में घुसने नहीं दिया जायेगा. इसके उपरान्त शाम को जब विकास प्राधिकरण की टीम के साथ क्षेत्राधिकारी स्नेहा तिवारी, इस्पेक्टर चौक आदि क्षेत्र में चक्रमण कर रहे थे तभी अचानक यह विरोध इकठ्ठा होना शुरू हो गया. एक व्यक्ति विशेष के नेतृत्व में अचानक आरोप लगा कि मीडिया ने गलत बयान दिया है.
इसके उपरांत क्षेत्राधिकारी ने शांति की अपील किया और फिर मीडिया को बयान दिया कि मौके पर किसी प्रकार का टर्नल नहीं मिला है एक बेसमेंट है जिसको निर्माणकर्ता कहते है कि पार्किंग के लिये अरक्षित किया गया है. इस पलते बयान से उनके द्वारा भी बिना कहे मीडिया को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया गया.
इन सबमे इस्पेक्टर चौक ने सभी सीमाये पार किया और क्षेत्र में आम जनता के बीच इलान कर दिया कि मीडिया के फलनवा अखबार के खिलाफ और चैनल के खिलाफ मुकदमा कर दो आप लोग हम आपके साथ है. अवैध निर्माण कोई बड़ा अपराध नहीं है उसके लिये सिर्फ हज़ार दो हज़ार जुर्माना लगता है, जुर्माना भर कर सब ठीक हो जायेगा. उन्होंने उन कथित विरोध करने वालो से कहा कि आप उस अखबार और चैनल पर मुकदमा कर दो हम आपके साथ है. इतना सुनकर विरोध करने वालो ने पुलिस जिंदाबाद और मीडिया मुर्दाबाद का नारा लगाने लगे. शायद इस्पेक्टर साहब को अपनी जयकारा सुनना था तो सुन लिया और खड़ा कर दिया मीडिया को कटघरे में, खुद का समर्थन देकर कह दिया जाओ मुकदमा कर दो, अवैध निर्माण कोई गंभीर अपराध नहीं है.
इसके बाद जनता ने मीडिया और मीडिया कर्मियों को खूब गालिया दिया यही नहीं जनता के सोशल मीडिया पर बने ग्रुप में भी उस इलाके के लड़के मीडिया को गाली दे रहे है. जबकि मीडिया ने जो दिखाया जो बताया वह एसएसपी के बयान के आधार पर दिखाया जो वीडियो में साथ दिखाई दे जायेगा, इसके बाद जिस प्रकार से क्षेत्राधिकारी ने बयान घुमाया वह भी देख सकते है और फिर इस्पेक्टर चौक ने जैसे मीडिया के खिलाफ मुकदमा करने की बात कही वह भी देख सकते है. अब आप फैसला करे कि कौन सही कौन गलत
मगर एक बात तो साफ़ है कि यूटर्न मार कर प्रशासन ने इसको सीधे सीधे मीडिया कर्मियों की बलि चढ़वाने का प्रयास किया है. समझ नहीं आता है यदि पहला बयान धयान भी न दिया जाये और बकिया क्षेत्राधिकारी और इस्पेक्टर चौक का बयान देखा जाये तो प्रश्न उठाना स्वाभाविक है कि आखिर फिर किस धारा में कल गिरफ़्तारी हुई है और केस का भविष्य क्या रहेगा क्योकि इस्पेक्टर चौक का बयान देख कर केस का भविष्य क्या होगा ?