देवरिया – कप्तान साहेब आपके पुलिस कर्मियों पर वाहन नियम नहीं लागू होते क्या ?
देवरिया. पुलिस क्राइम रोकने के लिए अलग-अलग तरीके से कार्यक्रम चला रही है, इसी दौरन में वाहन चेकिंग का कार्यक्रम काफी जोरों शोरों पर चल रहा है जिससे क्राइम तो कम हो रही है लेकिन नियमो के उलंघन की तरफ देखे तो कप्तान साहेब आपकी पुलिस भी इसके उलंघन से बाज़ तो नहीं आती है।
अब मौजूदा घटना क्रम की ही देख ले, रोजाना की तरह आज भी सुभाष चौक पर गाड़ियों की चालान काटने का कार्यक्रम जारी था। जिसमें किसी को भी नियम तोड़ने की इजाज़त नहीं थी और नियमो के तहत सबके चालान काटे जा रहे थे. इस दौरान कई वाहनों के नंबर प्लेट आगे नहीं होने पर चालान काटा गया अथवा सख्त हिदायत दिया गया.
बढ़िया बात है नियमो का पालन सबको करना चाहिये. मगर साहब इस सब में सब आते है किसी को इससे अलग नहीं रखा जा सकता है, प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के वाहन को नियमो के तहत क्रेन से खिचवा देने वाली किरण बेदी जैसी आईपीएस अधिकारियो ने एक नजीर तो पेश किया ही है. जब प्रधानमंत्री का वाहन खीचा जा सकता है और नियमो में इसकी अनुमति है तो फिर आम पुलिस कर्मियों का क्यों नहीं साहेब. तस्वीर को गौर से देखे साहेब. आपके पुलिस कर्मी जिस वाहन पर रख कर चालान काट रहे है उसके ही आगे की नम्बर प्लेट पर ही नंबर नहीं लिखा है बल्कि पुलिस लिख रखा है.
अब साहब नियमो की थोडा और बात किया जाये तो पुलिस मैनुवल तक बात आ जायेगी, अब जब नियमो की बात है साहेब तो नियमो में कोई पुलिस कर्मी अथवा अधिकारी अपने निजी वाहन, अथवा निजी आवास पर भी पुलिस का मोनोग्राम नहीं लगा सकते है. अब साहब जब नियम इतने कड़े है तो फिर आखिर पुलिस कर्मी तो अलग बात रही उनके रिश्तेदार और सगे सम्बन्धी भी अक्सर अपने वाहन पर पुलिस लिखवा कर टहलते दिखाई दे जाते है.
अब साहब जब नियमो का पालन करने की बात है तो नियम की रखवाली करने वालो को भी नियमो का पालन करना चाहिये. मगर साहब हम क्या कह सकते है हम तो कलम के सिपाही है. अगर हम अधिक बोलेंगे तो फिर साहब हमको भी किसी न किसी नियम के ज़द में ज़रूर ले लिये जायेगे. वैसे भी इतिहास गवाह है जो एक शेर में अर्ज़ करता हु कि आसान रास्तो से गुज़र जाइये जनाब, सच बोलने वाले तो सलीबो पर चढ़े है. साहब हम इस शेर का मायने जानते है.