स्वच्छता अभियान के ‘शस्त्रों’ से दूर रहेंगे गाधी
कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद : स्वच्छ भारत अभियान के तहत रेलवे परिसर, ट्रेनों और पटरियों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष जोर दे रहा है। अभी तक शौचालय और कचरे के डिब्बे या कूड़े के ढेर के पास गांधीजी के चश्मे का स्केच (लोगो) बना दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से रेलवे बोर्ड में चिट्ठी आने के बाद सभी रेलवे जोन को निर्देश दिया गया है कि अब किसी भी सूरत में चश्मे के लोगो का इस्तेमाल ऐसे स्थान पर न हो।
दो अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती पर देश में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हुई। केंद्रीय स्वच्छ भारत अभियान के तहत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चश्मे को केंद्र सरकार ने स्वच्छता का लोगो माना। लोगो का उपयोग आफिस के पत्राचार, स्टेशनरी, पोस्टर, कैलेंडर, होर्डिग, शासकीय बिल्डिंग में प्रचार-प्रसार के लिए किया गया। स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय, कचरे के डिब्बे और कूड़े के ढेर के पास भी गांधी जी का चश्मे का लोगो बनाया गया।
हाईकोर्ट के आदेश पर पीएमओ ने लिखी चिट्ठी
छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष बदरुद्दीन कुरेशी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की कि शौचालय, कचरे के डिब्बे और कूड़े के ढेर के पास गांधीजी के चश्मे का लोगो नहीं बनाया जाना चाहिए। इसे देखकर किसी भी आम हिन्दुस्तानी को आत्मग्लानि होना स्वभाविक है। हाईकोर्ट ने इसके पक्ष में निर्देश दिया। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी भेजी। पीएमओ ने हाईकोर्ट के आदेश का संज्ञान लेते हुए सभी रेलवे जोन के महाप्रबंधक को इसके लिए निर्देश जारी किया है। इलाहाबाद मंडल के जनसंपर्क अधिकारी सुनील कुमार गुप्ता का कहना है कि उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक द्वारा इस संबंध में पत्र जारी किया गया है। उसका अनुपालन कराया जा रहा है।
नॉन एसी कोच में लग रहे डस्टबिन
ट्रेनों में स्वच्छता बढ़ाने के लिए सभी कोचों में बायो टायलेट लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही नॉन एसी कोचों में डस्टबिन रखे जा रहे हैं। इलाहाबाद मंडल की कुल 22 ट्रेनों में से दूरंतो, प्रयागराज एक्सप्रेस और वीआइपी ट्रेनों में नॉन एसी कोचों में डस्टबिन पहले से हैं। अभी तक 155 कोचों में 310 डस्टबिन लग चुके हैं। 268 कोचों में 536 डस्टबिन लगाने की प्रक्रिया चल रही है।