अंतिम दिन कवियों ने भक्तों में जगाई राष्ट्र चेतना

कनिष्क गुप्ता

इलाहाबाद : माघ मेले में चलो मन गंगा जमुना तीर कार्यक्रम के अंतिम दिन सांस्कृतिक कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। वहीं कवियों ने राष्ट्रचेतना के प्रति भक्तों को आत्मबोध भी कराया।

दिल्ली से आए कवि गजेंद्र सोलंकी ने अपनी काव्य प्रस्तुति के माध्यम से देशवासियों में एकता और देशभक्ति की बात करते हुए पढ़ा- सबसे पहले हर एक दिल में हिंदुस्तान रहे। बृजेंद्र चकोर ने बदलते परिदृश्य में नारियों के छोटे होते कपड़ों पर हास्य व्यंग्य पढ़ा। जब चीरहीन होगा तन बोलिये दुशासन क्या झुनझुना बजाएगा। अशोक बेशरम ने मां गंगा की पीड़ा का संज्ञान लेते हुए पढ़ा-गंगा में अगर गंदगी इंसान करेगा तो फैसला इस जुर्म का भगवान करेगा। इस सम्मलेन को आगे बढ़ाते हुए इस सम्मलेन के अध्यक्ष राम लोचन सावरिया ने अपने हंसगुल्ले और गुदगुदी की गोली श्रोताओं में धड़ल्ले से बांटी ।

जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विनय श्रीवास्तव, उमा श्रीवास्तव आदि ने सुगम संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया। लखनऊ की माधुरी वर्मा एवं सहयोगियों द्वारा प्रस्तुत भजन और अवधी गायन प्रस्तुत किया गया। उत्तराखंड के कुमाउंनी लोक नृत्य गीता सिराडी, छऊ लोक नृत्य झारखण्ड के चंदन महतो द्वारा पेश किया गया ।

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