शहरियों ने श्रद्धालुओं का किया सत्कार
इलाहाबाद : जिस श्रद्धा भाव से सैकड़ों किमी. दूर से स्नानार्थी मंगलवार को संगम में डुबकी लगाने आए थे, कुछ वैसा ही भाव शहरियों ने भी दिखाया। शहर में जगह जगह श्रद्धालुओं का सत्कार किया गया। रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर उतरने के बाद कई किमी. की परिक्रमा कर तंबुओं की नगरी में प्रवेश करने के रास्तों पर भंडारे का आयोजन किया गया था।
प्रसाद ग्रहण करने के लिए श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों संग आम शहरियों की भी भीड़ लगी रही। जीटी जवाहर रोड पर बालसन चौराहा से अलोपीबाग तक, लीडर रोड पर रेलवे स्टेशन से जानसेनगंज चौराहा, विवेकानंद मार्ग पर जानसेनगंज चौराहा से रामबाग रेलवे स्टेशन, बाई का बाग डॉट का पुल से मधवापुर में हर्षवर्धन चौराहा, अलोपीबाग से दारागंज जाने वाली रोड, महात्मा गांधी मार्ग पर मेडिकल कालेज चौराहा से मधवापुर जाने वाले मार्गो पर दोनों तरफ तकरीबन 50-100 मीटर की दूरी पर पंडाल लगाकर भंडारे का आयोजन किया गया था।
कहीं व्यापारियों और क्लबों की ओर से सब्जी-कचौड़ी, स्वयंसेवी संस्थाओं और शहरियों की ओर से चाय, बिस्किट, ब्रेड पकौड़े, खीर, खिचड़ी आदि के इंतजाम किए गए थे। भंडारे भोर से ही शुरू होकर शाम तक चलते रहे। बड़ी बात ये आयोजक पूरी श्रद्धाभाव से स्नानार्थियों को बुलाकर प्रसाद दे रहे थे। हर्षवर्धन चौराहा के समीप गौरवी फाउंडेशन की ओर से चाय वितरण का आयोजन किया गया था। जिसमें जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, महापौर अभिलाषा गुप्ता, अपर महाधिवक्ता विनोद कांत, शहर उत्तरी के विधायक हर्षवर्धन बाजपेई, नगर आयुक्त हरिकेश चौरसिया भी शरीक हुए।
चलता रहा भजन, भोजन का सिलसिला
माघ मेला क्षेत्र में संतों के शिविरों में भजन, प्रवचन व मंत्रों की स्वरलहरी के बीच भंडारे का सिलसिला दिनभर चलता रहा। दूर-दूर से आए श्रद्धालु संतों के सानिध्य में कुछ पल बिताकर अधिक से अधिक पुण्य अर्जित करने को आतुर थे। जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी महेशाश्रम, स्वामी ब्रह्माश्रम, देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी ने प्रवचन के जरिए श्रद्धालुओं को संन्मार्ग पर चलने की सीख दी। वहीं ओम वाहेगुरु ऋषि आश्रम, ओम नम: शिवाय व इस्कॉन के सदस्य हर मानव में देव का दर्शन की अनुभूति करते हुए उन्हें भंडारा में प्रसाद ग्रहण करने की गुजारिश करते देखे गए। ओम वाहेगुरु ऋषि आश्रम के व्यवस्थापक सत्यम कहते हैं तीर्थराज में किसी रूप में प्रभु का दर्शन हो जाए क्या पता, हमारे लिए तो सभी देव के समान हैं। इस्कॉन के स्वामी वेणुविजय दास कहते हैं हम तो प्रभु के दास हैं, और प्रभु अपने भक्तों के। यही कारण है कि यहां आने वाला हर व्यक्ति देवस्वरूप है।