सुशासन बाबू के राज में शराबबंदी असफल
अनिल कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा शराबबंदी कानून बिहार में दम तोड़ता नजर आ रहा है। अभी बिहार में शराब एक फलता फूलता व्यवसाय के रुप में नजर आ रहा है। इस व्यवसाय में युवा वर्ग खास तौर से रूचि ले रहा है । इस कार्य में स्थानीय थाना का भी अहम हिस्सेदारी रहती है । अधिकतर शराब की तस्करी बिहार से सटे झारखंड , पंजाब, बंगाल और हरियाणा जैसे राज्यों से हो रही है । बिहार में सबसे ज्यादा शराब उत्तरी बिहार से रेल व सड़क मार्ग के द्वारा लाया जाता है । रेल मार्ग से शराब के तस्करी होने पर जीआरपी को प्रत्येक बोतल पर दस से बीस रूपया मिलता है ।
बिहार के अधिकतर थाना के पुलिसकर्मी की मासिक आमदनी में काफी बढ़ोतरी शराब के तस्करी के कारण हुई है । सीएम नीतिश कुमार लाख शराबबंदी को सफल बताते रहें लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग बयान कह रहा है । बिहार के राजधानी पटना में शराबबंदी के पहले लोग अपने से शराब खरीदते नजर आते थे लेकिन शराबबंदी के बाद लोगों को शराब की होम डिलिवरी होने लगी है ।हर सप्ताह अन्य राज्यों से शराब तस्कर एक बार में बीस बोतल लाते हैं और आराम से शराब के शौकिन लोगों के घरों पर होम डिलिवरी करते है, बदले में एक बोतल पर कम से कम पाँच सौ रूपया कमा लेते हैं।
शराब बाहर से लाने के लिए शराब तस्कर हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं । कोई शराब माफिया ट्रक में डमी टंकी बना कर उसमें शराब की बोतल रखकर आसानी से अपने गंतव्य स्थानो पर पहुँचा देते हैं । जब तक सीएम नीतिश कुमार शराबबंदी पर कोई कड़ा फैसला प्रशासनिक स्तर पर नहीं लेगें तब तक शराब माफियाओं के लिए बिहार सेफ जोन बना रहेगा ।