त्रिवेणी तट पर संस्कार-संस्कृति का संगम

कनिष्क गुप्ता

इलाहाबाद : शास्त्र वर्णित है कि सृष्टि निर्माण से पहले परमपिता ब्रह्मा ने तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी तट पर यज्ञ किया। फिर सृष्टि की रचना की। प्रयाग की उसी धरा पर रविवार को नारी शक्ति की अनूठी इबारत लिखी जा रही थी, जिसका स्वर्णिम एहसास हर किसी को आह्लादित कर रहा था। त्रिवेणी तट से चंद कदम दूरी पर परेड ग्राउंड में विद्या भारती द्वारा नारी शक्ति पर आधारित कार्यक्रम समुत्कर्षा में समाज के नए स्वरूप की झलक नजर आयी। संस्कार एवं भारतीय संस्कृति के ज्ञान से ओतप्रोत हजारों छात्राओं ने अपने व्यवहार, वाणी व प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अनुशासन में होती करतल ध्वनि, गायन, नृत्य को देख तमाम अतिथियों की तरह प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी अभिभूत नजर आए।

परेड ग्राउंड में एकत्रित 15 हजार छात्राओं ने ‘हम भविष्य हैं, भावी भारत की पहचान..’ गीत पर भावपूर्ण नृत्य के जरिए नारी का अभिमान, स्वाभिमान व सम्मान की झलक पेश की। हर बोल पर बदलते भाव को देख कर कोई चकित नजर आए। वहीं ‘ऐ धरती पर रहने वालों धरती को स्वर्ग बनाना है..’ गीत के जरिए दिखाया कि नारी न अबला है, न बेबस। बल्कि आज की नारी सशक्त हो चुकी है, परंतु नारी अभिमानी व उद्दंड नहीं है। छात्राओं की प्रस्तुति से अभिभूत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की संयोजिका डॉ. कीर्तिका अग्रवाल कहती हैं कि वास्तव में हमारी बेटियों ने भावी भारत की झलक दिखाई है। भविष्य के भारत की इबारत लिखने में नारी अग्रणी भूमिका निभाएगी, जिसमें किसी को संदेह नहीं है। वह कमजोर नहीं, सशक्त होगी। संस्कार व संस्कृति से ओतप्रोत नारी सबको साथ लेकर राष्ट्र का नवनिर्माण करेगी।

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